
Bihar News: बिहार सरकार ने राज्य के आर्थिक विकास को गति देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। खान एवं भू-तत्व विभाग ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पांच जिलों में खनिज ब्लॉकों की नीलामी की अनुमति मांगी है। इन जिलों में रोहतास, गया, जमुई, औरंगाबाद और नवादा शामिल हैं, जहां मैग्नेटाइट, चूना-पत्थर, ग्लॉकोनाइट और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार मौजूद हैं। इस पहल से न केवल बिहार की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे
खनिज संपदा से बदलेगी बिहार की तस्वीर
झारखंड के अलग होने के बाद बिहार को खनिज संसाधनों के मामले में कमजोर माना जाता था, लेकिन हाल के भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षणों ने इस धारणा को गलत साबित किया है। रोहतास में चूना-पत्थर और ग्लॉकोनाइट, जमुई में मैग्नेटाइट, गया में क्रोमाइट और निकल, और औरंगाबाद व नवादा में पोटाश जैसे खनिजों के विशाल भंडार मिले हैं। इन खनिजों की नीलामी से राज्य को करीब 5,000 करोड़ रुपये की आय होने की उम्मीद है, जो बिहार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
रोजगार और उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
खनिज ब्लॉकों की नीलामी से न केवल सरकारी खजाने में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। पोटाश खनन से उर्वरक उद्योग को बल मिलेगा, जबकि क्रोमियम और निकल जैसे खनिज मोबाइल और विमानन उद्योगों में उपयोगी होंगे। बिहार सरकार ने नीलामी प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए एसबीआई कैपिटल मार्केट्स को सलाहकार नियुक्त करने का फैसला किया है। यह कदम बिहार को खनन क्षेत्र में एक नया मुकाम दिला सकता है।
सख्त निगरानी के साथ अवैध खनन पर लगाम
बिहार में अवैध खनन एक बड़ी समस्या रही है, जिससे सरकारी राजस्व को नुकसान होता है। इसको रोकने के लिए खान एवं भू-तत्व विभाग ने सैटेलाइट निगरानी और विशेष छापामारी अभियान शुरू किया है। इसरो के सैटेलाइट से प्राप्त उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरों के जरिए खनन क्षेत्रों पर नजर रखी जाएगी। साथ ही, नागरिकों को एक ऐप के माध्यम से अवैध खनन की शिकायत दर्ज करने की सुविधा दी जाएगी।
बिहार का भविष्य: खनन से समृद्धि
इस नीलामी से बिहार के पांच जिलों में औद्योगिक विकास को नई दिशा मिलेगी। खनिज संसाधनों का दोहन न केवल आर्थिक समृद्धि लाएगा, बल्कि बिहार को देश के खनन मानचित्र पर एक मजबूत स्थान दिलाएगा। सरकार की यह पहल स्थानीय समुदायों के लिए भी लाभकारी होगी, क्योंकि इससे बुनियादी ढांचे का विकास और जीवन स्तर में सुधार होगा।

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