Israel-Iran War: इजरायल-ईरान युद्ध से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल, भारत ने क्या की तैयारी?
इजरायल-ईरान युद्ध से तेल की कीमतें 13% उछलीं, भारत का आयात बिल बढ़ेगा, सरकार ने उठाए बचाव के कदम

Israel Iran War: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। इस युद्ध की वजह से कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं। भारत, जो अपने तेल का 85% से ज्यादा आयात करता है, के लिए यह स्थिति चिंता का विषय है। लेकिन सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं, ताकि आम लोगों पर इसका असर कम हो।
तेल की कीमतों में क्यों आया उछाल?
इजरायल के ईरान के परमाणु और तेल सुविधाओं पर हमला करने के बाद तेल की कीमतों में 13% तक की बढ़ोतरी हुई। ब्रेंट क्रूड तेल की कीमत 74 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई। ईरान ने जवाबी हमले किए और होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दी, जो दुनिया के 20% तेल आपूर्ति का रास्ता है। अगर यह रास्ता बंद हुआ, तो तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं, जिससे भारत में पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस महंगी हो सकती है।
भारत पर क्या होगा असर?
भारत अपनी जरूरत का 90% तेल मध्य-पूर्व के देशों जैसे सऊदी अरब, इराक और यूएई से मंगवाता है। तेल की कीमतों में हर 10 डॉलर की बढ़ोतरी से भारत का आयात बिल 1 लाख करोड़ रुपये बढ़ सकता है। इससे रुपये की कीमत कम हो सकती है, जिससे सामान और महंगा हो जाएगा। साथ ही, महंगाई बढ़ने से आम आदमी की जेब पर बोझ पड़ेगा।
भारत सरकार ने क्या की तैयारी?
1. तेल भंडार का उपयोग
भारत के पास 3 महीने का तेल भंडार है, जो कम कीमत पर पहले ही खरीदा गया था। जिससे तुरंत तेल की कमी नहीं होगी।
2. अन्य देशों से तेल खरीद
सरकार रूस और वेनेजुएला जैसे देशों से तेल आयात बढ़ाने की योजना बना रही है, ताकि मध्य-पूर्व पर निर्भरता कम हो।
3. पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर रखने की कोशिश
तेल कंपनियां और सरकार मिलकर पेट्रोल-डीजल की कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं। मार्च 2025 में पेट्रोल-डीजल के दाम 2 रुपये कम किए गए थे।
आम लोगों के लिए क्या मतलब?
अगर तेल की कीमतें बढ़ीं, तो बस-ट्रेन का किराया, सब्जी और अन्य सामान महंगा हो सकता है। लेकिन सरकार के इंतजामों से उम्मीद है कि यह असर कम रहेगा। लोगों को चाहिए कि वे जरूरी सामान का स्टॉक रखें और बिजली-पानी का कम उपयोग करें।