
नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर तीखी बहस देखने को मिली। पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सैन्य कार्रवाई की जानकारी सदन को दी, इसके बाद विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पाकिस्तान को लेकर केंद्र सरकार के रुख को विस्तार से रखा और उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करने की रणनीति पर चर्चा की।
जयशंकर ने संसद में क्या कहा?
विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार ने हर स्तर पर पूरी तैयारी के साथ कार्रवाई की। उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी, लेकिन भारत ने बिना किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव के, अपने हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।
उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने लगातार निगरानी रखी और भारतीय दूतावासों को पूरी तरह ब्रीफ किया गया। पाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास के कुछ सदस्यों को persona non grata घोषित किया गया और मीडिया को भी समय-समय पर पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया गया।
“पाकिस्तान की असलियत को उजागर किया”
डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत की ‘रेड लाइन’ पार करने के बाद ही जवाबी कार्रवाई की गई। “हमने दुनिया को बताया कि पाकिस्तान कैसे आतंकवाद को संरक्षण देता है। हमने न केवल आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया, बल्कि पाकिस्तान को सख्त संदेश भी दिया,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि संयुक्त राष्ट्र में भारत के इस ऑपरेशन का विरोध केवल तीन देशों—पाकिस्तान, चीन और तुर्की—ने किया। “संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से केवल तीन ने विरोध किया, बाकी ने भारत के रुख को समझा और समर्थन दिया,” उन्होंने जोर दिया।
“पाकिस्तान को सिखाया सबक”
जयशंकर ने कहा, “हमने पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से सिखाया कि आतंकवाद को बढ़ावा देने का क्या नतीजा होता है। 7 मई की सुबह उन्हें कड़ा संदेश दिया गया। हमने TRF जैसे संगठनों की शह पर हो रहे हमलों का करारा जवाब दिया।” उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने भी इस आतंकी हमले की निंदा की, जबकि पाकिस्तान TRF का बचाव कर रहा था।
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