प्रकाशपर्व पर शान से दस्तार सजाकर, गुरु गोबिंद के पुत्र होने का गर्व करें युवक: जमशेदपुरी

हरविंदर जमशेदपुरी ने युवाओं से दस्तार सजाकर के नगर कीर्तन में शामिल होने की अपील की
Jamshedpur-सिखों के गुरु दशम पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह महाराज जी के 358वें प्रकाशोत्सव के पावन अवसर पर सभी सिख युवकों को दस्तार सजा कर नगर कीर्तन में शामिल होने की अपील करते हुए युवा सिख धर्म प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने कहा है कि युवा पीढ़ी गर्व से दस्तार सजा के दसम पिता की संतान होने का गर्व महसूस करें।
रविवार को प्रकाशपर्व की पूर्वसंध्या में शहर के युवकों को आह्वान करते हुए हरविंदर जमशेदपुरी ने कहा दस्तार केवल पाँच-छह मीटर का कपड़ा मात्र नहीं है बल्कि यह गुरुओं की बख्शीश किया हुआ सर का ताज है। जमशेदपुरी ने कहा कि एक सिख दिन में एकबार दस्तार सजाता है लेकिन दस्तार उसे सारा दिन सजा कर रखती है। हरविंदर ने यह भी कहा कि इस सुबह दिन सभी युवा प्रण लें कि वे टोपी या टोपीनुमा किसी भी चीज का इस्तेमाल सिर ढकने नहीं करेंगे और केवल दस्तार सजा कर ही गुरु के सच्चे सिख बनेंगे।
हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने कहा कि सिर पर दस्तार सजाना सिख की असली पहचान है। इसलिए हर सिख को हर हाल में सिर पर दस्तार बांधनी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़िया इससे प्रेरणा ले सकें। उन्होंने कहा कि दस्तार बांधने की भी अपनी एक कला होती है इसलिए हर युवक को सिर पर दस्तार बांधने की कला आनी चाहिए। दस्तार एकमात्र कपड़ा ही नहीं बल्कि हमारे शरीर का हिस्सा भी है।

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