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नेपाल: सुशीला कार्की का Gen Z आंदोलनकारियों के पक्ष में बड़ा फैसला, पूरी कर दी मांग

डेस्क: नेपाल ने रविवार को एक ऐतिहासिक क्षण देखा, जब देश की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर पदभार संभाला। 73 वर्षीय कार्की न केवल नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं, बल्कि उन्होंने सत्ता संभालते ही ऐसा कदम उठाया जिससे हाल ही में उभरे Gen Z आंदोलन के प्रदर्शनकारियों को राहत और गर्व का अनुभव हुआ।

आंदोलन में मारे गए युवाओं को शहीद का दर्जा

पदभार संभालने के बाद अपने पहले राष्ट्र के नाम संबोधन में सुशीला कार्की ने घोषणा की कि हालिया प्रदर्शनों में मारे गए सभी युवाओं को सरकारी रूप से शहीद घोषित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शहीदों के परिजनों को 10 लाख नेपाली रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी, साथ ही घायल प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों को भी सहायता मिलेगी।

कार्की ने कहा – “मुझे उन परिवारों का दर्द महसूस होता है जिन्होंने अपने स्कूल या कॉलेज जाने वाले बच्चों को खोया है। सरकार उनके साथ खड़ी है।”

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हिंसा से हिल गया नेपाल

कार्की ने 27 घंटे तक चले हिंसक प्रदर्शनों का उल्लेख करते हुए कहा कि नेपाल ने इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी लूटपाट और तबाही देखी। रिपोर्ट्स के मुताबिक हालिया घटनाओं में 72 लोगों की मौत हुई, जिनमें 59 प्रदर्शनकारी, 10 कैदी और तीन पुलिसकर्मी शामिल थे। साथ ही 134 प्रदर्शनकारी और 57 पुलिसकर्मी घायल हुए।

सरकार ने मंत्रालयों को प्रदर्शन के दौरान हुए नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

सुशीला कार्की ने साफ किया कि उनकी सरकार स्थायी नहीं है। वे केवल 6 महीने से 1 साल तक कार्यभार संभालेंगी, जब तक देश में नए संसदीय चुनाव नहीं हो जाते। उन्होंने कहा कि “हम सत्ता का स्वाद चखने नहीं आए हैं, बल्कि देश को स्थिरता देने आए हैं। बिना जनता के सहयोग के यह संभव नहीं।

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