चीन की मदद से पाकिस्तान का नया अंतरिक्ष मिशन, लांच किया स्पाई सैटेलाइट?

डेस्क: पाकिस्तान ने रविवार को चीन के सहयोग से अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम का नया अध्याय शुरू किया। चीन के जियुक्वान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर (JSLC) से पाकिस्तान का पहला हाइपरस्पेक्ट्रल सैटेलाइट “HS-1” सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। पाकिस्तान सरकार ने इसे देश की “तकनीकी छलांग” करार दिया है, जबकि विशेषज्ञ इसे “रणनीतिक निगरानी मिशन” के रूप में देख रहे हैं।
यह सैटेलाइट पाकिस्तान के ₹8.3 लाख करोड़ के विजन 2047 और राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीति का हिस्सा है। इसे स्पेस एंड अपर एटमॉस्फियर रिसर्च कमीशन (SUPARCO) ने विकसित किया है। लॉन्च का सीधा प्रसारण कराची स्थित सुपार्को कॉम्प्लेक्स से किया गया, जहां पाकिस्तानी वैज्ञानिक मौजूद थे।
सुपार्को के अनुसार, HS-1 सैकड़ों स्पेक्ट्रल बैंड्स में हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें लेने में सक्षम है। इसका उपयोग कृषि, पर्यावरण, जल संसाधन और शहरी विकास के विश्लेषण में किया जाएगा। संस्था का कहना है कि यह सैटेलाइट आने वाले दो महीनों में “इन-ऑर्बिट टेस्टिंग” के बाद पूरी तरह सक्रिय हो जाएगा।
HS-1 को खासतौर पर CPEC (चीन-पाक आर्थिक गलियारा) परियोजनाओं से जुड़ी निगरानी के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह भूस्खलन, प्रदूषण, ग्लेशियर पिघलने और जलवायु परिवर्तन से संबंधित डेटा एकत्र करेगा।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस मिशन को “स्पेस कोऑपरेशन में ऐतिहासिक उपलब्धि” बताया है। मंत्रालय ने कहा कि यह पाकिस्तान-चीन दोस्ती की गहराई और तकनीकी साझेदारी को दर्शाता है। HS-1 इस साल पाकिस्तान का तीसरा सफल सैटेलाइट लॉन्च है — इससे पहले EO-1 और KS-1 मिशन भी पूरे हो चुके हैं।
रणनीतिक निगरानी ?
हालांकि, कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक इसे “स्पाई सैटेलाइट” करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि HS-1 सिर्फ कृषि या पर्यावरण के अध्ययन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सीमाई इलाकों और सैन्य गतिविधियों की निगरानी के लिए भी इस्तेमाल हो सकता है।
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, चीन के लॉन्च सेंटर से लगातार पाकिस्तानी उपग्रहों का प्रक्षेपण इस साझेदारी के “रणनीतिक और खुफिया” पहलू को उजागर करता है। यानी, विज्ञान के नाम पर यह मिशन तकनीकी प्रगति से ज्यादा भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।



