
Bihar Politics: बिहार की सियासत में कांग्रेस ने नए कदम उठाकर सबको चौंका दिया है। पार्टी कर्नाटक और तेलंगाना की तरह अपनी रणनीति बना रही है, जिससे महागठबंधन में सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कांग्रेस की सक्रियता, खासकर इमारते शरिया और इमरान प्रतापगढ़ी की कोशिशों से, मुस्लिम वोटरों को लुभाने की रणनीति साफ दिख रही है। इससे RJD का MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण कमजोर होने का डर है।
Bihar Politics: कांग्रेस की नई रणनीति, क्या है मकसद?
कांग्रेस बिहार में अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए कर्नाटक और तेलंगाना मॉडल पर काम कर रही है। इन राज्यों में पार्टी ने मुस्लिम और दलित वोटरों का भरोसा जीतकर सत्ता हासिल की थी। बिहार में भी कांग्रेस यही रणनीति आजमा रही है। इमारते शरिया से मुलाकात और इमरान प्रतापगढ़ी की सभाओं से पार्टी मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। कन्हैया कुमार को आगे बढ़ाकर सवर्ण और युवा वोटरों को भी साधने का प्लान है।
RJD की टेंशन – MY समीकरण पर खतरा
RJD लंबे समय से बिहार में मुस्लिम और यादव वोटरों के दम पर सियासत करती रही है। लेकिन कांग्रेस की नई रणनीति से उसका यह MY समीकरण कमजोर पड़ सकता है। खासकर सीमांचल और कोसी इलाकों में, जहां मुस्लिम वोटर 20-30% हैं, कांग्रेस की सक्रियता RJD के लिए खतरे की घंटी है। साथ ही, ओवैसी की AIMIM भी मुस्लिम वोटों पर नजर रखे है, जिससे RJD की चुनौतियां और बढ़ रही हैं।
गठबंधन में खींचतान, सीट बंटवारे पर तनाव
कांग्रेस और RJD के बीच सीट बंटवारे को लेकर भी तनाव है। कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जबकि RJD उसे 50-60 सीटें देना चाहता है। राहुल गांधी की बार-बार बिहार यात्रा और कन्हैया कुमार को आगे बढ़ाने से यह साफ है कि कांग्रेस अब RJD की छाया से बाहर निकलना चाहती है।
क्या होगा बिहार की सियासत में?
कांग्रेस की यह रणनीति बिहार में नया सियासी मोड़ ला सकती है। अगर पार्टी मुस्लिम, दलित और सवर्ण वोटरों को जोड़ने में कामयाब रही, तो वह अपनी पुरानी ताकत वापस पा सकती है। लेकिन गठबंधन में संतुलन बनाना उसके लिए बड़ी चुनौती है। दूसरी तरफ, RJD को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ सकता है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में यह सियासी खेल रोमांचक होने वाला है।