https://whatsapp.com/channel/0029VajZKpiKWEKiaaMk4U3l
crimeStateTrendingWestern States

पुणे पोर्श हादसा: आरोपी पर चलेगा नाबालिग की तरह मुकदमा, मृतकों के परिजन नाराज

पुणे पोर्श हादसा: पुणे में पिछले साल दो आईटी इंजीनियरों की जान लेने वाले पोर्श हादसे के आरोपी किशोर के उपर नाबालिग के तौर पर मुकदमा चलेगा। मंगलवार को किशोर न्याय बोर्ड ने यह फैसला सुनाया। इस निर्णय से मृतकों के परिजन बेहद नाराज़ हैं और उन्होंने न्याय प्रक्रिया और सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।

परिजनों ने जताई नाराजगी

हादसे में मारे गए अनीश अवधिया के पिता ओम प्रकाश अवधिया और अश्विनी कोष्टा के पिता सुरेश कोष्टा ने फैसले पर आपत्ति जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि एक साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद सरकार ने बोर्ड के बर्खास्त सदस्यों के स्थान पर नई नियुक्तियां नहीं की थीं, लेकिन अचानक एक महीने में नियुक्ति कर फैसले सुनाए जाने लगे।

“शराब पीकर गाड़ी चलाने वाला किशोर नहीं हो सकता”

मृतक अश्विनी के पिता सुरेश कोष्टा ने कहा कि एक नशे में गाड़ी चलाने वाला और जानलेवा हादसा करने वाला किशोर नहीं माना जा सकता। उन्होंने सवाल किया कि जब देशभर में शुरुआत से ही इस मामले को लेकर बोर्ड की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे थे, तो फिर वयस्क के तौर पर मुकदमा क्यों नहीं चलाया गया?

“अमीरों को ही न्याय क्यों?”

अनीश अवधिया के पिता ओम प्रकाश ने कहा कि यह पहले से तय था कि हमें क्या मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसी स्थिति नहीं आने देनी चाहिए थी। उन्होंने साफ तौर पर संकेत दिया कि यह मामला पैसे और प्रभाव का है।

क्या है मामला?

19 मई 2023 को पुणे के कल्याणी नगर इलाके में हुए इस हादसे में दो बाइक सवार आईटी पेशेवरों की मौत हो गई थी। पुलिस के अनुसार, हादसे के समय कार किशोर चला रहा था और वह नशे में था। पुलिस ने शुरुआत में किशोर को सुधार गृह भेजने और वयस्क के तौर पर ट्रायल की मांग की थी।

पुलिस ने जताई थी गंभीरता

पुणे पुलिस का कहना था कि यह मामला केवल सड़क हादसे का नहीं बल्कि जघन्य अपराध है, क्योंकि आरोपी ने न केवल दो लोगों की जान ली, बल्कि घटना के बाद सबूतों से छेड़छाड़ की कोशिश भी की।

हाईकोर्ट ने भी जताई थी चिंता

हालांकि, बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 जून 2024 को आरोपी को तत्काल रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि सुधार गृह भेजने का आदेश विधिसम्मत नहीं था और किशोर न्याय अधिनियम का पालन नहीं किया गया।

जमानत पर भी उठे थे सवाल

हादसे के कुछ ही घंटों के भीतर आरोपी को जमानत मिल गई थी, जिसमें केवल 300 शब्दों का निबंध लिखने जैसी शर्तें रखी गई थीं। इससे देशभर में विरोध शुरू हो गया था। तीन दिन बाद उसे सुधार गृह भेजा गया था, लेकिन अब उसे फिर से नाबालिग के तौर पर ट्रायल का सामना करना होगा।

ये

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!