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नदियों की स्वच्छता और संरक्षण पर संगोष्ठी: सरयू राय ने जताई गंभीर चिंता

जमशेदपुर: स्वर्णरेखा महोत्सव के 20 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने नदियों की स्वच्छता और संरक्षण पर गंभीर चिंता व्यक्त की। स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट और युगांतर भारती के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण और नदी स्वच्छता पर चर्चा की गई।

नदियों को कचरा डंपिंग स्थल न बनाएं: सरयू राय
विधायक सरयू राय ने कहा कि नदियों का पानी निर्मल और अविरल बहना आवश्यक है। उन्होंने अपील की कि हर माह कम से कम एक दिन नदियों की सफाई और संरक्षण के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने पांडेय घाट और दोमुहानी घाट का निरीक्षण करने के बाद बताया कि पांडेय घाट पर गंदगी की स्थिति बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा, “नदियों में सीधे घर का कचरा और पूजन सामग्री फेंकना घातक है। इसका असर हमारी पीने के पानी की गुणवत्ता पर पड़ता है।”

शहरीकरण का सबसे ज्यादा असर नदियों पर: राय
उन्होंने शहरीकरण और विकास की अंधी दौड़ को नदियों के प्रदूषण का मुख्य कारण बताया। खरकई नदी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि बारिश के बाद यह नदी नाले में बदल जाती है। “हमने नदियों को कचरा डंपिंग स्थल बना लिया है। आखिर मशीनें पानी को कितना शुद्ध कर पाएंगी?” उन्होंने कहा।

सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग
संगोष्ठी में मौजूद विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रखे। रवींद्रनाथ चौबे ने कहा कि पूजन सामग्री को नदी में फेंकने के बजाय किनारे की झाड़ियों में रखने का प्रावधान बनाया जाना चाहिए। डॉ. मुरलीधर केडिया ने बताया कि बागबेड़ा, मानगो और जुगसलाई जैसे इलाकों का कचरा नदी में डंप किया जाता है, जिससे स्वर्णरेखा और खरकई दोनों नदियां प्रदूषित हो रही हैं। उन्होंने जल शोधन संयंत्र स्थापित करने की मांग की।

नई पीढ़ी में जागरूकता जरूरी: दिनेश चंद्र मिश्र
पर्यावरणविद डॉ. दिनेश चंद्र मिश्र ने नदियों की परंपराओं और महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नई पीढ़ी में इस दिशा में रुचि पैदा करना जरूरी है। उन्होंने कहा, “हमने नदियों को माता का दर्जा दिया है, लेकिन उनके संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया। आज ऐसी कोई नदी नहीं बची है, जिसके पानी से हम आचमन कर सकें।”

कार्यक्रम का संचालन सुबोध श्रीवास्तव ने किया, जबकि स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट के ट्रस्टी आशुतोष राय ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस संगोष्ठी ने नदियों के संरक्षण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया।

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