
डेस्क: अडानी समूह और उसके चेयरमैन गौतम अडानी को हिंडनबर्ग मामले में बड़ी राहत मिली है। बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने गुरुवार को कहा कि समूह और उसके प्रमुख के खिलाफ लगाए गए आरोपों के समर्थन में कोई सबूत नहीं मिला है। इसके साथ ही, अडानी ग्रुप को आरोपों से मुक्त कर दिया गया।
सेबी की जांच में आरोप साबित नहीं हुए
सेबी ने अपनी जांच में पाया कि अडानी समूह पर लगे वित्तीय अनियमितताओं के आरोप गलत साबित हुए। आरोप था कि समूह ने तीन अलग-अलग संस्थाओं के जरिए लेनदेन छिपाया और निवेशकों को गुमराह किया। लेकिन सेबी की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि सभी ऋण ब्याज सहित चुकाए गए थे और किसी भी तरह की धोखाधड़ी या धन गबन नहीं हुआ था।
जांच में यह भी सामने आया कि अडानी पोर्ट्स ने धनराशि आदिकॉर्प एंटरप्राइजेज को दी थी, जिसने बाद में वही राशि अडानी पावर को ऋण के रूप में उपलब्ध कराई। हालांकि, अडानी पावर ने समय पर यह पूरा ऋण चुका दिया था।
गौतम अडानी की प्रतिक्रिया
फैसले के बाद गौतम अडानी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा –
“एक विस्तृत जांच के बाद सेबी ने हमें निर्दोष करार दिया है। हम पहले दिन से कहते आए हैं कि हिंडनबर्ग के आरोप निराधार थे। पारदर्शिता और ईमानदारी हमेशा से अडानी समूह की पहचान रही है। हम उन निवेशकों के दर्द को समझते हैं जिन्होंने झूठी रिपोर्ट के कारण नुकसान झेला। अब समय आ गया है कि जो लोग गलत खबरें फैला रहे थे, वे देश से माफी मांगें।”
हिंडनबर्ग ने क्या आरोप लगाए थे?
जनवरी 2023 में अमेरिका की हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया था कि अडानी समूह ने आदिकॉर्प एंटरप्राइजेज, माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स और रेहवर स्ट्रक्चर जैसी कंपनियों का इस्तेमाल कर धन इधर-उधर किया। आरोप था कि इससे ग्रुप को संबंधित पक्ष लेनदेन के नियमों से बचने में मदद मिली और निवेशकों को गुमराह किया गया। रिपोर्ट के बाद देश में राजनीतिक हलचल भी मची और संसद तक में इस मुद्दे पर जोरदार बहस हुई थी।
अब सेबी की जांच ने साफ कर दिया है कि अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।
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