
डेस्क: भारत अपनी समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक क्षमता को मजबूत करने के लिए पनडुब्बी बेड़े का बड़ा विस्तार करने जा रहा है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सरकार अगले साल के मध्य तक एक लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के दो प्रमुख रक्षा सौदों को अंतिम रूप देने की तैयारी में है।
इन सौदों में तीन स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों और छह डीजल-इलेक्ट्रिक स्टील्थ पनडुब्बियों की खरीद शामिल है। माना जा रहा है कि इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद भारतीय नौसेना की पनडुब्बी क्षमता चीन जैसी बड़ी नौसैनिक ताकतों को टक्कर देने में सक्षम होगी।
पहला सौदा तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लिए है। यह परियोजना मुंबई स्थित मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) और फ्रांस की प्रमुख रक्षा कंपनी नेवल ग्रुप मिलकर पूरा करेंगे।
करीब 36,000 करोड़ रुपये के इस सौदे को रक्षा मंत्रालय ने दो साल पहले मंजूरी दी थी, लेकिन तकनीकी और वित्तीय बिंदुओं पर बातचीत के चलते प्रक्रिया में देरी हो गई। अब इसे जल्द अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है।
छह स्टील्थ पनडुब्बियों का मेगा प्रोजेक्ट
दूसरा बड़ा सौदा छह डीजल-इलेक्ट्रिक स्टील्थ पनडुब्बियों के निर्माण का है। इसकी अनुमानित लागत 65,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इस परियोजना में जर्मनी की कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (TKMS) और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड साझेदारी कर रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि अनुबंध पर बातचीत जल्द शुरू होगी और इसे अंतिम रूप देने में 6 से 9 महीने का समय लग सकता है।
भारत ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी कार्रवाइयों के बाद समुद्री रक्षा क्षमताओं को तेजी से बढ़ाने पर जोर दिया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि नए सौदों से न केवल नौसेना की ताकत बढ़ेगी बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति भी और मजबूत होगी।
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