https://whatsapp.com/channel/0029VajZKpiKWEKiaaMk4U3l
NationalReligiousTrending

16 साल की मुस्लिम लड़की की शादी गलत नहीं ? सुप्रीम कोर्ट ने NCPCR की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के 2022 के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत 16 साल की मुस्लिम लड़की निकाह करने के लिए सक्षम मानी जाती है।

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने स्पष्ट किया कि NCPCR इस मामले में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं रखता, क्योंकि यह सीधे तौर पर मुकदमे से संबंधित पक्ष नहीं है। अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट ने अगर एक जोड़े की सुरक्षा और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए आदेश दिया है, तो उसे चुनौती देना संस्थान का काम नहीं है।

अदालत की टिप्पणियां

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि बच्चों की सुरक्षा के लिए बनी संस्था NCPCR आखिर क्यों उस आदेश को चुनौती दे रही है, जिसमें दो लोगों की जान और स्वतंत्रता की रक्षा की गई थी। बेंच ने कहा – “यह कोई कानूनी मसला नहीं है। अगर कोई वास्तविक कानूनी प्रश्न उठता है, तो आप सही मामले में चुनौती दें।”

कोर्ट ने NCPCR की तीन अन्य याचिकाओं को भी खारिज कर दिया, जो इसी तरह के मामलों से संबंधित थीं।

हाई कोर्ट का फैसला

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का आदेश एक मुस्लिम युवक की याचिका पर आया था। युवक ने दावा किया था कि उसकी प्रेमिका (16 वर्ष) को घर में गैरकानूनी तरीके से रोका गया है, जबकि दोनों शादी करना चाहते हैं। कोर्ट ने ‘प्रिंसिपल्स ऑफ मोहम्डन लॉ’ का हवाला देते हुए कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत 15 साल की उम्र पूरी करने पर बालिग माना जाता है। इस आधार पर हाई कोर्ट ने निकाह को वैध मानते हुए दोनों को सुरक्षा देने का आदेश दिया।

NCPCR की दलील

NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि हाई कोर्ट का आदेश बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 और POCSO एक्ट, 2012 के खिलाफ है। आयोग का तर्क था कि 18 साल से कम उम्र की लड़की कानूनी सहमति देने की स्थिति में नहीं होती।

सुप्रीम कोर्ट का जवाब

बेंच ने यह तर्क खारिज करते हुए कहा कि ऐसे मामलों को अलग नजरिए से देखना जरूरी है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा – “POCSO एक्ट आपराधिक मामलों के लिए है, लेकिन कुछ रोमांटिक मामलों में 18 साल से कम उम्र के किशोर आपसी सहमति से संबंध बनाते हैं या निकाह करना चाहते हैं। ऐसे मामलों को आपराधिक नजरिए से नहीं देखना चाहिए।”

अदालत ने कहा कि यदि लड़की किसी लड़के से प्यार करती है और माता-पिता उसके खिलाफ POCSO में केस दर्ज कर देते हैं, तो इससे लड़की को मानसिक पीड़ा होती है। ऐसे मामलों में आपराधिक और रोमांटिक रिश्तों के बीच फर्क करना जरूरी है।

ये भी पढ़ें: Bihar Cabinet News: चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने खोला पिटारा, कैबिनेट की बैठक में प्रतियोगी परीक्षा की फीस हुई कम और उद्योगों को मुफ्त जमीन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!