
नई दिल्ली: जीएसटी परिषद ने बुधवार को माल एवं सेवा कर (GST) ढांचे में बड़ा सुधार करते हुए दो-स्तरीय कर संरचना (5% और 18%) को मंजूरी दे दी है। यह नई व्यवस्था 22 सितंबर 2025 से लागू होगी। जहां एक ओर सरकार और एनडीए इस फैसले को ऐतिहासिक बता रहे हैं, वहीं कांग्रेस ने इसके पीछे की मंशा और टाइमिंग पर सवाल खड़े किए हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जीएसटी दरों में कटौती का स्वागत तो किया, लेकिन साथ ही केंद्र सरकार से पूछा कि यह फैसला करने में 8 साल क्यों लग गए।
सोशल मीडिया पर पोस्ट कर चिदंबरम ने कहा कि विपक्ष पिछले 8 साल से लगातार चेतावनी दे रहा था कि मौजूदा दरें आम लोगों और कारोबारियों पर बोझ डाल रही हैं, लेकिन सरकार ने उस समय ध्यान नहीं दिया। अब अचानक कटौती की गई है, तो इसके पीछे क्या कारण हैं?
उन्होंने सरकार से छह बड़े सवाल पूछे:
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क्या यह कटौती सुस्त आर्थिक विकास को ध्यान में रखकर की गई है?
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क्या यह कदम बढ़ते घरेलू कर्ज की वजह से है?
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क्या यह निर्णय घटती घरेलू बचत के चलते लिया गया?
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क्या यह कटौती बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए की गई?
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या फिर इसका कारण डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ विवाद है?
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या इन सभी वजहों का मेल है?
जीएसटी परिषद का फैसला
बैठक में बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि सभी राज्यों ने दरों को युक्तिसंगत बनाने का समर्थन किया और यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है।
वहीं, पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि इस फैसले से राज्यों को करीब ₹47,700 करोड़ का नुकसान होगा। उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि हानिकारक या विलासिता वाली वस्तुओं पर कर दर 40% से अधिक करने का मुद्दा अभी लंबित है और इस पर आगे निर्णय लिया जाएगा।
चुनावी सियासत गर्माई
कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने यह फैसला जनता के हित में नहीं, बल्कि चुनावी लाभ और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते लिया है। दूसरी ओर, एनडीए नेताओं का कहना है कि दरों का युक्तिकरण महंगाई पर नियंत्रण लाएगा और कारोबारियों को राहत देगा।
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