
राजस्थान में कथित कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले ने सियासी और सामाजिक बहस को गर्मा दिया है। इस बीच, प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ किया कि “राजस्थान में किसी भी बच्चे की मौत कफ सिरप से नहीं हुई है। जिन बच्चों की मौत हुई, वे पहले से गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे।”
खींवसर ने जोधपुर सर्किट हाउस में पत्रकारों से कहा – एक बच्चे की मौत मस्तिष्क ज्वर (एन्सेफलाइटिस) से हुई थी। दूसरे को रेस्पिरेट्री इन्फेक्शन था। विवादित सिरप की लैब टेस्टिंग रिपोर्ट में इसे सुरक्षित और मानक पाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया है और किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं बरती गई।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में असहज दिखे मंत्री
जब पत्रकारों ने अन्य कंपनियों की खांसी की दवाओं की जांच पर सवाल पूछा, तो मंत्री कई बार अधिकारियों से जानकारी लेने लगे। अंत में उन्होंने कहा कि “विभाग सैंपलिंग करवा रहा है और अगर कोई अनियमितता मिली तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।” करीब 11 मिनट तक चली प्रेस कॉन्फ्रेंस को जल्दबाजी में समाप्त कर दिया गया।
मंत्री खींवसर ने स्पष्ट किया कि यह दवा किसी सरकारी डॉक्टर ने नहीं लिखी थी, बल्कि नर्सिंग स्टाफ और फार्मासिस्ट ने दी थी। मरीज अब स्वस्थ है। उन्होंने कहा – “कई बार बड़ों की दवा बच्चों को दे दी जाती है, जिससे नुकसान होता है। इस मामले में भी यही हुआ है। अब हम हर दवा पर यह उल्लेख अनिवार्य कर रहे हैं कि वह बच्चों या गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित है या नहीं।”
जांच के दौरान विभागीय अनियमितताओं को देखते हुए ड्रग कंट्रोलर राजाराम को निलंबित कर दिया गया है। मंत्री ने दावा किया कि राज्य में दवाओं की चार स्तरों पर जांच प्रणाली लागू है और गुणवत्ता में कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी।
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तीन मौतें, 35 बच्चे बीमार
राजस्थान में विवादित कंपनी के कफ सिरप पीने के बाद अब तक तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। करीब 35 बच्चे बीमार हुए हैं, जिनमें कई जयपुर के जेके लोन अस्पताल में भर्ती हैं। अस्पताल अधीक्षक आर.एन. सेहरा ने बताया कि “सात बच्चे ऐसे आए जिनकी हिस्ट्री में यही कफ सिरप था। एक की मौत हो चुकी है, बाकी का इलाज चल रहा है।”
जहां तमिलनाडु सरकार ने इस कफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं राजस्थान सरकार ने शनिवार से डोर-टू-डोर सर्वे शुरू करने का ऐलान किया है, ताकि प्रभावित बच्चों और दवा के उपयोग की जानकारी जुटाई जा सके।