
भारत में अगले तीन से चार महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत मिल सकती है। यह संकेत खुद केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिया है। उन्होंने कहा कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा स्तर (65-70 डॉलर प्रति बैरल) पर बनी रहीं, तो देश में ईंधन के खुदरा दामों में कमी देखने को मिल सकती है। पुरी बुधवार को ‘ऊर्जा वार्ता-2025’ सेमिनार में बोल रहे थे, जो हाइड्रोकार्बन सेक्टर का देश का सबसे बड़ा कार्यक्रम है।
भारत के पास 21 दिनों का तेल भंडार
हरदीप पुरी ने बताया कि देश की सरकारी तेल कंपनियों के पास 21 दिनों तक के लिए पर्याप्त भंडार मौजूद है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत 40 देशों से तेल आयात कर रहा है और वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कोई कमी नहीं है।
रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीद रहा भारत
पेट्रोलियम मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की ऊर्जा खरीद का आधार सिर्फ एक देश नहीं है। हालांकि, मौजूदा समय में रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, जो देश के कुल आयात का करीब 40% हिस्सा है। यह स्थिति फरवरी 2022 के बाद बनी, जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ और रूस ने भारी छूट पर तेल बेचना शुरू कर दिया।
अमेरिका के दबाव को किया खारिज
पुरी ने इस दौरान अमेरिका के उस कथित दबाव को भी सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें रूस से तेल आयात कम करने की बात कही जा रही थी। उन्होंने दो टूक कहा कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए स्वतंत्र रूप से निर्णय लेता है और जहां से सस्ती और टिकाऊ आपूर्ति मिलती है, वहीं से खरीदी की जाती है।
तेल आयात करने वाले देशों की संख्या बढ़ी
पेट्रोलियम मंत्री ने बताया कि भारत अब गुयाना, ब्राजील, अर्जेंटीना जैसे नए स्रोतों से भी तेल खरीद रहा है। पहले भारत 27 देशों से कच्चा तेल खरीदता था, अब यह आंकड़ा 40 देशों तक पहुंच गया है।
क्या होगा अगर अमेरिका लगाएगा प्रतिबंध?
पुरी ने स्पष्ट किया कि अगर अमेरिका रूस से तेल आयात पर किसी प्रकार का भारी टैक्स या प्रतिबंध लगाता है, तो भारत वापस पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं (मध्य पूर्व और पश्चिमी देश) की ओर रुख करेगा। उन्होंने याद दिलाया कि यूक्रेन युद्ध से पहले रूस से भारत का तेल आयात 2% से भी कम था।
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