
भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे पत्र में स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने की आवश्यकता को इस्तीफे का कारण बताया। यह भारत के इतिहास में पहला मौका है जब किसी उपराष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के दौरान इस्तीफा दिया है।
जगदीप धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा, “स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए मैं तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देता हूं।” यह घोषणा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन आई, जब विपक्षी दलों ने ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम हमले, और अन्य मुद्दों पर हंगामा किया। धनखड़ ने इस्तीफे में सत्र के हंगामे या राजनीतिक दबाव का कोई उल्लेख नहीं किया।
स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं
25 जून 2025 को नैनीताल में कुमाऊं विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान धनखड़ की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। कार्यक्रम के बाद पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र पाल को गले लगाते समय वह भावुक हो गए और सीने में दर्द की शिकायत के बाद प्राथमिक उपचार दिया गया। इसके बाद से उनके स्वास्थ्य पर चिंताएं बढ़ गई थीं।
धनखड़ का राजनीतिक सफर
जगदीप धनखड़ ने 6 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था, जिसमें उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 346 मतों से हराया। वह राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव से आने वाले जाट समुदाय के नेता हैं। इससे पहले वह 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे और 1989-1991 तक झुंझुनू से लोकसभा सांसद थे। उन्होंने चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री के रूप में भी काम किया।
धनखड़ अपने कार्यकाल के दौरान कई बार विवादों में रहे। अप्रैल 2025 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अनुच्छेद 142 के उपयोग को “लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ परमाणु मिसाइल” करार दिया था। उन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली आवास से अधजली नकदी बरामदगी के मामले में गहन जांच की मांग भी की थी।
उपराष्ट्रपति का पद खाली होने के बाद संविधान के अनुच्छेद 68 के तहत 6 महीने के भीतर नया उपराष्ट्रपति चुना जाना आवश्यक है। तब तक राज्यसभा सभापति की जिम्मेदारी उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह संभाल सकते हैं। संसद के मानसून सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा की संभावना है।
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