
Jharkhand News: झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार के सामने विकास की राह में कई सियासी रुकावटें खड़ी हो रही हैं। हाल ही में संपन्न विधानसभा सत्र में विपक्ष के हंगामे और सत्तापक्ष के रवैये ने कई अहम योजनाओं को लटका दिया। राज्य में निवेश, रोजगार और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे मुद्दों पर प्रगति रुक रही है, जिससे जनता के बीच नाराजगी बढ़ रही है। सोशल मीडिया पर लोग इसे सियासी नाटक बता रहे हैं, जो झारखंड के भविष्य के लिए चिंता का विषय बन गया है।
विधानसभा में हंगामा से विकास पर लगा ब्रेक
झारखंड विधानसभा का हालिया सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। विपक्ष ने सरकारी नीतियों पर सवाल उठाए, जबकि सत्तापक्ष ने बचाव में तीखे तेवर दिखाए। इस दौरान कई अहम प्रस्ताव और योजनाएं चर्चा से बाहर रह गईं। निवेश को बढ़ावा देने और औद्योगिक विकास के लिए जरूरी नीतियां पास नहीं हो सकीं। इससे राज्य में नए उद्योग स्थापित करने और रोजगार सृजन की प्रक्रिया पर असर पड़ा है। लोग इस सियासी खींचतान को विकास में सबसे बड़ी बाधा मान रहे हैं।
निवेश और रोजगार: अधूरी उम्मीदें
झारखंड में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है, लेकिन सियासी अस्थिरता और नीतिगत देरी ने निवेशकों का भरोसा डगमगाया है। हेमंत सरकार ने कई बड़े प्रोजेक्ट्स की घोषणा की, लेकिन सियासी टकराव के चलते ये योजनाएं जमीन पर नहीं उतर पा रही हैं। खासकर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में प्रगति धीमी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोग इस मुद्दे को लेकर सरकार और विपक्ष दोनों की आलोचना कर रहे हैं।
विपक्ष की भूमिका: रचनात्मक या रुकावट?
विपक्ष का कहना है कि वे जनता के हित में सरकार पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन उनके हंगामे से विधानसभा की कार्यवाही बार-बार बाधित हो रही है। दूसरी ओर, सत्तापक्ष का आरोप है कि विपक्ष बेवजह अड़ंगा डाल रहा है। इस बीच, जनता के मुद्दे जैसे सड़क, बिजली और पानी की समस्याएं अनसुलझी रह गई हैं। यह स्थिति झारखंड के विकास के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है।

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