
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई जूता फेंकने की घटना के बाद आरोपी वकील राकेश किशोर को पुलिस ने रिहा कर दिया है। घटना के समय उनका जूता और अन्य सामान भी वापस कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने कहा कि वे इस प्रकार की घटनाओं से विचलित नहीं होंगे और अदालत का काम जारी रहेगा।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने तत्काल कदम उठाते हुए वकील राकेश किशोर की एनरोलमेंट को सस्पेंड कर दिया है। अब वह भारत के किसी भी न्यायालय, ट्रिब्यूनल या प्राधिकरण में पैरवी नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए नोटिस जारी किया गया है।
बार काउंसिल के आदेश के अनुसार, 6 अक्टूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 1 में राकेश किशोर ने अपने स्पोर्ट्स शूज़ उतारकर मुख्य न्यायाधीश की ओर फेंकने का प्रयास किया, जिसे सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत रोक लिया। BCI ने बताया कि यह आचरण अधिवक्ता आचार संहिता और न्यायालय की गरिमा के खिलाफ है।
उनके सभी आईडी कार्ड, कोर्ट पास और एक्सेस परमिशन तुरंत अमान्य कर दिए गए हैं। राकेश किशोर को 15 दिन में नोटिस का जवाब देना होगा कि निलंबन क्यों जारी न रखा जाए। BCI ने यह आदेश उनके रजिस्टर्ड पते और ईमेल पर भेजने के निर्देश दिए हैं।
CJI ने कहा: “JUST IGNORE”
घटना के बाद सीजेआई बी.आर. गवई ने सुप्रीम कोर्ट अफसरों, सुरक्षा अधिकारियों और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक, सीजेआई ने कहा: “JUST IGNORE. हम इन घटनाओं से विचलित नहीं होंगे।”
इस दिशा में उनके निर्देश के अनुसार दिल्ली पुलिस ने वकील को हिरासत से रिहा कर दिया।
इस घटना पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हुई हरकत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर फैल रही गलत सूचनाओं के कारण मामला और बड़ा दिखाया गया। SG ने यह भी कहा कि मुख्य न्यायाधीश की उदारता और संयम को किसी तरह की कमजोरी न समझा जाए।
तुषार मेहता ने कहा कि CJI ने यह स्थिति पूरी गंभीरता से संभाली और किसी भी धर्म या समुदाय के प्रति सम्मान दिखाया। उन्होंने सवाल उठाया कि किसी ने वकील को ऐसा करने के लिए कैसे उकसाया, और यह केवल ध्यान आकर्षित करने या लोकप्रियता पाने का प्रयास था।
राकेश किशोर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई जारी रहेगी। BCI के अंतरिम आदेश के अनुसार, वकील को 48 घंटे के भीतर शपथपत्र दाखिल करना होगा कि वह किसी भी न्यायिक कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। आगे की कानूनी कार्रवाई और अंतिम निर्णय उसी के अनुसार लिया जाएगा।
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