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Today is being celebrated Akshay Tritiya.: पुण्य, दान और मोक्ष का अद्वितीय अवसर

नई दिल्ली:30 अप्रैल 2025, बुधवार को हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का एक अत्यंत पावन और पुण्यदायी पर्व अक्षय तृतीया मनाया जा रहा है। अक्षय तृतीया को ‘अविनाशी फल’ प्रदान करने वाली तिथि माना गया है। ‘अक्षय’ का अर्थ होता है – जिसका कभी क्षय न हो, यानी नाश न होने वाला। यह दिन जप, तप, दान, स्नान और पूजन जैसे प्रत्येक पुण्य कर्म को अक्षय फल देने वाला कहा गया है।
हिंदू धर्मग्रंथों – भविष्य पुराण, मत्स्य पुराण, पद्म पुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण तथा स्कंद पुराण में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य – जैसे विवाह, गृहप्रवेश, नई वस्तु खरीदना, भूमि पूजन, व्रत या पूजा – अत्यंत फलदायी माना जाता है। विशेषकर इस दिन भगवान विष्णु और पितरों की पूजा कर श्राद्ध एवं धर्मघट दान करने का विधान है।
स्कंद पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति अक्षय तृतीया को सूर्योदय के समय पवित्र स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा और व्रतकथा का श्रवण करता है, वह मोक्ष का अधिकारी बनता है। मधुसूदन (भगवान विष्णु) की प्रसन्नता हेतु इस दिन किया गया दान विशेष पुण्यदायक होता है।
भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को गंगा स्नान करने वाला व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है। यदि यह तिथि बुधवार और श्रवण नक्षत्र के योग में आए, जैसा कि इस बार हो रहा है, तो स्नान, उपवास और दान का फल अनंत गुणा बढ़ जाता है। गुड़, कर्पूर युक्त जल और मोदक जैसे हविष्य अन्न का दान विशेष फलदायी होता है।
धार्मिक शास्त्रों में वर्णित एक श्लोक के अनुसार:
“अस्यां तिथौ क्षयमुर्पति हुतं न दत्तं, तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया।”
अर्थात इस तिथि पर किया गया हवन और दान कभी नष्ट नहीं होता, इसलिए मुनियों ने इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहा है।
इस अवसर पर श्रद्धालु विशेष रूप से भगवान विष्णु के पूजन, जलदान, हवन, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र व अन्न दान आदि शुभ कार्य कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। पितरों के निमित्त किए गए कर्मों को भी अक्षय फल मिलता है।
इस पावन तिथि पर देशभर के तीर्थस्थलों, मंदिरों और गंगा घाटों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। धार्मिक आस्था से जुड़ा यह पर्व आत्मिक शुद्धि, वंश परंपरा की उन्नति और लोक-परलोक सुधारने का अद्वितीय अवसर माना जाता है।

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