अपराध

Security agencies are involved in a joint operation:सुरक्षाबलों ने माओवादी ठिकानों पर की बड़ी कार्रवाई, पांच बंकर किए ध्वस्त

चाईबासा: झारखंड में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का अभियान लगातार जारी है। इसी कड़ी में चाईबासा जिला पुलिस, झारखंड जगुआर, कोबरा बटालियन और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने 4 मार्च 2025 से नक्सल विरोधी अभियान शुरू किया था। यह अभियान छोटानागर थाना और जाराईकेला थाना के सीमावर्ती जंगलों और पहाड़ी इलाकों में चलाया जा रहा था।
10 अप्रैल 2025 को जाराईकेला थाना क्षेत्र के कुटुलचुक वन क्षेत्र में सघन तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली। जंगल में माओवादियों द्वारा बनाए गए पांच गुप्त बंकरों को ध्वस्त कर दिया गया। इन बंकरों का इस्तेमाल माओवादी गतिविधियों को अंजाम देने और छिपने के लिए किया जाता था। अभियान के दौरान कई अहम सुराग भी सुरक्षा बलों के हाथ लगे हैं, जिससे आगे की रणनीति तय की जाएगी।
माओवादियों के गढ़ में चला सर्च ऑपरेशन
सुरक्षाबलों का यह अभियान कोल्हान के दुर्गम जंगलों और पहाड़ी इलाकों में चलाया जा रहा है। ये वही इलाके हैं जहां माओवादी लंबे समय से अपने ठिकाने बनाकर सुरक्षा बलों पर हमले करने और अपनी रणनीतियों को अंजाम देने का प्रयास कर रहे थे। अधिकारियों का कहना है कि नक्सलियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है और इस तरह के अभियान भविष्य में भी जारी रहेंगे।

संयुक्त अभियान में सुरक्षा एजेंसियां शामिल
इस विशेष अभियान में राज्य और केंद्र सरकार की कई सुरक्षा एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं। इनमें चाईबासा जिला पुलिस, झारखंड जगुआर, कोबरा बटालियन 203 और 209, सीआरपीएफ की 26वीं, 60वीं, 134वीं, 174वीं, 193वीं और 197वीं बटालियन शामिल हैं। ये सभी टीमें मिलकर जंगलों में माओवादियों के ठिकानों की तलाश कर रही हैं और उन्हें ध्वस्त करने का अभियान चला रही हैं।

खुफिया सूचना से मजबूत हुई रणनीति
सूत्रों के अनुसार, माओवादी नेताओं की गतिविधियों से जुड़ी खुफिया जानकारी लगातार मिल रही है। इसी के आधार पर सुरक्षा बल अपनी कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस अधीक्षक ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में और भी ठिकानों पर कार्रवाई की जा सकती है। इसके लिए स्थानीय ग्रामीणों से भी सहयोग मांगा जा रहा है ताकि नक्सलियों की गतिविधियों पर कड़ा प्रहार किया जा सके।
माओवादियों के खिलाफ निर्णायक अभियान जारी
पिछले कुछ वर्षों में झारखंड सरकार और केंद्रीय सुरक्षा बलों की कड़ी रणनीति के चलते माओवादियों के नेटवर्क को भारी नुकसान पहुंचा है। कई शीर्ष नेता या तो गिरफ्तार किए जा चुके हैं या मुठभेड़ों में मारे गए हैं। अब जंगलों में छिपे माओवादियों के बचे-खुचे गुटों को खत्म करने के लिए यह निर्णायक अभियान चलाया जा रहा है। सुरक्षा बलों का कहना है कि माओवादी हिंसा को पूरी तरह खत्म करने तक यह अभियान जारी रहेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!