Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन बिल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, पूरे कानून पर रोक नहीं, सिर्फ 3 बदलावों पर स्टे - जानें पूरी बात
SC ने 3 प्रावधानों पर लगाई रोक, गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने पर स्टे।

Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने पूरे वक्फ कानून पर कोई रोक नहीं लगाई है, लेकिन विधेयक के तीन मुख्य बदलावों पर स्टे आदेश जारी किया है। इनमें सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 4 और राज्य वक्फ बोर्ड में 3 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान शामिल है। यह फैसला वक्फ बोर्ड के गठन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आया। सरकार ने इन बदलावों को पारदर्शिता बढ़ाने के लिए बताया था, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या रोका,तीन प्रावधानों पर स्टे
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन बिल के तीन हिस्सों पर अस्थायी रोक लगा दी है। पहला, सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 4 गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का नियम। दूसरा, राज्य स्तर के वक्फ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य बनाने का प्रावधान। तीसरा, वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण में जिलाधिकारी की भूमिका बढ़ाने का प्रस्ताव। कोर्ट ने कहा कि ये बदलाव मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों का हनन कर सकते हैं। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि वक्फ बोर्ड धार्मिक संस्था है, इसलिए इसमें गैर-मुस्लिमों की बहुलता उचित नहीं। कोर्ट ने सरकार से इन प्रावधानों पर जवाब मांगा है।
पूरे कानून पर कोई रोक नहीं, अन्य बदलाव लागू रहेंगे
अदालत ने स्पष्ट किया कि वक्फ संशोधन बिल के अन्य हिस्से बरकरार रहेंगे। इसमें वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण, ऑडिट में पारदर्शिता और महिलाओं को वक्फ बोर्ड में आरक्षण जैसे प्रावधान शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि विधेयक का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और कुशल प्रबंधन है, जो सकारात्मक है। लेकिन गठन से जुड़े विवादित हिस्सों पर स्टे जरूरी है। यह फैसला वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए लिया गया। सरकार ने कोर्ट में कहा कि ये बदलाव समावेशी बनाने के लिए हैं, लेकिन कोर्ट ने स्टे को अस्थायी रखा है।
याचिकाकर्ताओं का तर्क: धार्मिक अधिकारों का हनन
याचिका दायर करने वालों, जिनमें वकील और मुस्लिम संगठन शामिल हैं, ने कहा कि वक्फ एक्ट 1995 के तहत बोर्ड का गठन धार्मिक आधार पर होता है। गैर-मुस्लिमों की संख्या बढ़ाने से बोर्ड का चरित्र बदल जाएगा। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 26 का हवाला दिया, जो धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप पर रोक लगाता है। कोर्ट ने इन तर्कों को स्वीकार करते हुए स्टे दिया, लेकिन पूर्ण सुनवाई की तारीख तय की है। विपक्ष ने इसे सरकार की हिंदुत्व एजेंडा का हिस्सा बताया, जबकि सरकार ने पारदर्शिता पर जोर दिया।