पूर्वी राज्य

रहस्यों से भरा है झारखंड का चुंदरू धाम, पत्थरों में अंकित हैं हाथी और बाघ के चिह्न

चतरा : हजारीबाग और चतरा जिले को अलग करने वाला टंडवा का विख्यात चुंदरू धाम हजारीबाग जिले के केरेडारी और चतरा जिले के टंडवा थाना की ठीक सीमा पर मौजूद है। वैसे यह स्थल चुंदरू बाबा के नाम से प्रसिद्ध है। चुंदरू बाबा टंडवा आसपास के लोगों के कुलदेवता है। झारखंड के चुंदरू धाम दो नदियों का संगम भी है। इस धाम में नक्काशी दार बड़ी-बड़ी चट्टानों में कई रहस्य आज भी छिपे हैं। किम्वंदंती पर विश्वास करें तो चट्टानों के बीच एक गुफानुमा गड्ढा ऐसा भी है, जहां की गहराइयों का आकलन आज तक कोई नहीं कर पाया है। बुजुर्गां की मानें तो सात खटिया की डोर भी इसमें कम पड़ गयी। यह गुफानुमा पत्थर किस समय का है, किसी को जानकारी नहीं है। पत्थरों में हाथी और बाघों के पैर के निशान लोगों को लुभाता है। इतना ही नहीं शादी-ब्याह के समय अदौरी पारने के निशान अब भी यहां मौजूद हैं।

पौराणिक संपदाओं से भरपूर यह पर्यटक स्थल लोगों को बरबस ही अपनी तरफ खींचता है। नए साल पर बड़ी संख्या में सैलानी पिकनिक मनाने चुंदरू धाम पहुंचते हैं। औद्योगिक नगरी बनने के बाद बड़ी संख्या में पर्यटक इसे देखने के लिए आते हैं। गर्मी के दिनों में तो पानी सूख जाता है लेकिन बरसात में यहां का नजारा कुछ और ही होता है। चतरा मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर चुंदरू धाम का सूर्य मंदिर है। यहां सालों भर शादी-ब्याह होते हैं। 2001 में इस सूर्य मंदिर का निर्माण हुआ था। परिसर में धर्मशाला, अतिथिशाला और हवन कुंड भी है। कहा जाता है कि सालों पहले चुंदरू बाबा की बहन की शादी यहीं हुई थी। बाराती हाथी और बाघ पर सवार होकर आये थे।

मंदिर के पुजारी ईश्वरी पाठक कहते हैं कि यहां पूजा करने से मनवांछित मनोकामना पूरी होती है। सूर्य मंदिर में शादी-ब्याह से लेकर छठपूजा और दस दिवसीय गणेश महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक स्थल के अलावा नक्कशीदार गुफानुमा पत्थर भी लोगों को रोमांचित करते हैं। धार्मिक स्थल के अलावा नक्कशीदार गुफानुमा पत्थर लोगों को रोमांचित करते है। चुंदरू और टंडवा नदी के संगम स्थल पर जो लोग आते हैं, फोटो लेना नहीं भुलते। बहरहाल धार्मिक, भौगोलिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से यह स्थल काफी महत्वपूर्ण है। एनटीपीसी की ओर से भी इसे संवारने का काम किया जा रहा है। चुंदरू खावा से जुड़ी कई किम्वंदंतियां है पर चुंदरू खावा और चुंदरू बाबा के बारे में बहुत कुछ कहने के लिए किसी के पास ठोस आधार नहीं है। जबकि आर्किलोजिस्ट्स इसे पुरातात्विक केन्द्र बिन्दू मानते हुए इसे रॉक कट केव्स भी कहते हैं।

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