
Bihar Election News: भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार में 17 निष्क्रिय राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया है। इन दलों पर 2019 के बाद से किसी भी चुनाव में हिस्सा न लेने का आरोप है। आयोग ने इन दलों को 15 जुलाई 2025 तक जवाब देने का आदेश दिया है। अगर ये दल जवाब नहीं देते, तो उनकी मान्यता रद्द हो सकती है। यह खबर बिहार की सियासत में हलचल मचा रही है, क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक हैं।
क्यों भेजा गया नोटिस?
चुनाव आयोग ने साफ किया कि जिन राजनीतिक दलों ने पिछले कई सालों में कोई चुनावी गतिविधि नहीं दिखाई, उन्हें निष्क्रिय माना गया है। इनमें से कई दल कागजी तौर पर ही मौजूद हैं और न तो कोई उम्मीदवार उतारते हैं और न ही कोई संगठनात्मक काम करते हैं। आयोग का कहना है कि ऐसे दलों को पंजीकृत रखना नियमों के खिलाफ है। इसलिए, इन 17 दलों को कारण बताने के लिए 15 जुलाई तक का समय दिया गया है। अगर जवाब संतोषजनक नहीं हुआ, तो इनकी मान्यता खत्म हो सकती है।
किन दलों को मिला नोटिस?
नोटिस पाने वाले दलों में कई छोटे और स्थानीय दल शामिल हैं। इनमें से कुछ के नाम हैं- राष्ट्रीय जन जन पार्टी, विकासशील इंसान पार्टी और अन्य। ये दल बिहार में पंजीकृत हैं, लेकिन इनका कोई खास प्रभाव नहीं दिखा। कुछ दलों के मुख्यालय छोटे शहरों और कस्बों में हैं, जैसे शिवहर के पीपराही बाजार में। आयोग ने कहा कि ये दल न तो कार्यालय चलाते हैं और न ही कोई सक्रिय सदस्यता दिखाते हैं।
Bihar Election News : बिहार की सियासत पर क्या होगा असर?
बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। ऐसे में निष्क्रिय दलों की मान्यता रद्द होने से सियासी समीकरण बदल सकते हैं। कई छोटे दल चुनाव में ‘वोट कटवा’ की भूमिका निभाते हैं, जिससे बड़े दलों को नुकसान होता है। अगर इन दलों की मान्यता रद्द होती है, तो इसका फायदा बड़े दलों जैसे राजद, जदयू और भाजपा को मिल सकता है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि नए दल उभर सकते हैं, जो जातिगत वोटों पर ध्यान दे रहे हैं।