Trendingअपराधराजनीति

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की आंच पूर्व सीएम के बेटे तक पहुंची, चैतन्य बघेल गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को बड़ा कदम उठाते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार कर लिया। ईडी की टीम ने राजधानी रायपुर समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की, जिसके बाद यह गिरफ्तारी हुई। मामले को लेकर प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया है।

क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला?

ईडी की प्रारंभिक जांच के मुताबिक, 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में सरकारी शराब की खरीद और बिक्री को लेकर बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं की गईं। यह घोटाला कथित रूप से एक सुनियोजित सिंडिकेट के ज़रिए अंजाम दिया गया, जिसमें राज्य के उच्चस्तरीय अधिकारी, राजनेता और शराब कारोबारी शामिल थे।

ईडी का दावा है कि शराब की बोतलों पर नकली होलोग्राम लगाकर करोड़ों की अवैध कमाई की गई। अनुमान है कि करीब 40 लाख लीटर शराब का कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं रखा गया, जिससे सरकार को भारी नुकसान पहुंचा।

नोएडा की कंपनी और फर्जी होलोग्राम

जांच में सामने आया है कि एक नोएडा स्थित कंपनी प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्रा. लि. को कथित रूप से नियमों को तोड़कर होलोग्राम बनाने का ठेका दिया गया। यह टेंडर राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी से जुड़े प्रभाव के चलते मिला। आरोप है कि इस कंपनी ने असली के साथ-साथ नकली होलोग्राम भी बनाए, जिन्हें शराब की बोतलों पर चस्पा कर अवैध रूप से बेचा गया।

कैसे चलता था ‘शराब सिंडिकेट’?

  • रमन सिंह सरकार ने 2017 में CSMCL (छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड) के ज़रिए शराब की बिक्री का केंद्रीकरण किया था।

  • लेकिन 2018 में कांग्रेस की सरकार आने के बाद इसमें बदलाव हुआ और अरुणपति त्रिपाठी को सीएसएमसीएल का एमडी नियुक्त किया गया।

  • इसके बाद सरकारी दुकानों से शराब की अवैध बिक्री और नकली होलोग्राम के ज़रिए मुनाफाखोरी शुरू हो गई।

  • शराब माफिया, अधिकारी, ट्रांसपोर्टर और होलोग्राम निर्माता – सभी का हिस्सा तय था।

  • डिस्टिलरी से शराब सीधे ठेकों तक पहुंचाई जाती थी, बिना किसी वैध रिकॉर्ड के।

कौन-कौन है जांच के घेरे में?

इस घोटाले में अब तक ईडी ने अरुणपति त्रिपाठी, शराब कारोबारी अनवर ढेबर (रायपुर मेयर एजाज ढेबर के भाई), और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को गिरफ्तार किया है। सभी पर आरोप है कि उन्होंने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया और इसकी कमाई का बड़ा हिस्सा नेताओं और अधिकारियों तक पहुंचाया।

आबकारी मंत्री पर भी गंभीर आरोप

पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा पर भी घूस लेने के आरोप लगे हैं। ईडी के मुताबिक, उन्हें हर महीने 2 करोड़ रुपये तक बतौर कमीशन दिए जाते थे। उनके बेटे हरीश लखमा के घर से मिले डिजिटल साक्ष्य इस अवैध लेनदेन की पुष्टि करते हैं। आरोप है कि इन पैसों से रायपुर और सुकमा में आलीशान बंगला और कांग्रेस भवन बनवाया गया।

कैसे खुला घोटाले का राज?

जांच की शुरुआत एक कारोबारी विधु गुप्ता की गिरफ्तारी से हुई, जिसे होलोग्राम का अवैध ठेका मिला था। पूछताछ में उसने कई बड़े नामों का खुलासा किया। इसके बाद ईडी ने इस पूरे नेटवर्क को खंगालना शुरू किया और छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार से जुड़ी वित्तीय हेराफेरी सामने लाई।

अब तक की बड़ी कार्रवाई

  • ईडी ने 2023 में जांच शुरू की।

  • तीन बड़े नामों की गिरफ्तारी: अरुणपति त्रिपाठी, अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा

  • पूर्व मंत्री कवासी लखमा भी हिरासत में।

  • अब चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी से मामला और गंभीर।

ये भी पढ़ें: Bomb Threat: Golden Temple को बम से उड़ाने की धमकी, फरीदाबाद से सॉफ्टवेयर इंजीनियर गिरफ्तार

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!