आरोपी हर्षवर्धन जैन के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन उजागर
आरोपी हर्षवर्धन जैन के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन उजागर

गाजियाबाद के कवि नगर इलाके में फर्जी दूतावास चलाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए हर्षवर्धन जैन को लेकर हर दिन चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। आरोपी इस वक्त न्यायिक हिरासत में है और कवि नगर थाने में उसके खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। जांच में खुलासा हुआ है कि जैन के पास कुल 12 डिप्लोमैटिक पासपोर्ट थे और वह अब तक करीब 40 देशों की यात्रा कर चुका है, जिनमें यूएई की 30 बार यात्राएं शामिल हैं।
विदेशों में सक्रिय नेटवर्क
पुलिस सूत्रों के अनुसार, जैन ने जिन देशों की यात्रा की है उनमें यूके, यूएई, मॉरीशस, तुर्किए, फ्रांस, इटली, बुल्गारिया, कैमरून, स्विट्ज़रलैंड, पोलैंड, श्रीलंका और बेल्जियम शामिल हैं। उसकी यात्रा गतिविधियां और वहां के लोगों से संपर्क उसे एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का सदस्य साबित कर सकते हैं।
गाजियाबाद में किराए की कोठी से फर्जी दूतावासों का संचालन
हर्षवर्धन जैन ने कवि नगर के एक पॉश इलाके में एक कोठी किराए पर ली थी, जहां वह स्वयंभू दूतावास स्थापित कर आम लोगों को गुमराह करता था। इन कथित दूतावासों के नाम थे – वेस्ट आर्कटिका, सेबोर्गा, लाडोनिया, और पाउलोविया। ये सभी देश वास्तविकता में अस्तित्वहीन हैं, लेकिन जैन ने खुद को इन देशों का राजनयिक घोषित कर रखा था।
ठगी का हाई-प्रोफाइल नेटवर्क
यूपी एसटीएफ की नोएडा यूनिट के मुताबिक, आरोपी खुद को अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से जुड़ा बताते हुए नौकरी, निवेश और व्यापार के नाम पर लोगों से ठगी करता था। वह खाड़ी देशों और यूरोपीय देशों की लगातार यात्रा कर इन फर्जी कंपनियों को ‘वैध’ दिखाने का प्रयास करता था।
अब तक की जांच में यह सामने आया है कि हर्षवर्धन जैन के पास भारत में 12, दुबई में 5, लंदन में 2, और मॉरीशस में 1 बैंक खाता है। कई कंपनियों में वह खुद को सेक्रेटरी और कुछ में डायरेक्टर घोषित कर चुका था।
तुर्किए के नागरिक से संदिग्ध लेनदेन
जांच एजेंसियों को जैन के तार तुर्किए नागरिक सैयद एहसान अली से भी जुड़े होने के संकेत मिले हैं, जिनके साथ उसका 20 करोड़ रुपये का कथित वित्तीय लेन-देन हुआ है। इस ट्रांजैक्शन को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य वित्तीय जांच एजेंसियां भी सक्रिय हो गई हैं।
फिलहाल आरोपी न्यायिक हिरासत में है और उसके पास से मिले दस्तावेजों, पासपोर्ट्स, फर्जी नियुक्ति पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की गहन जांच की जा रही है। इस पूरे मामले ने फर्जीवाड़े की एक ऐसी परत खोली है, जो देश की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय छवि दोनों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन सकता है।
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