Jharkhand News: झारखण्ड में सड़क बनाने के समय पेड़ कटाई पर रोक लगेगी? हाईकोर्ट ने NHAI से पूछा जवाब
सड़क चौड़ीकरण में पेड़ों को काटने की बजाय दूसरी जगह लगाने की जरूरत, कोर्ट ने NHAI और राज्य सरकार से जवाब तलब किया।सड़क चौड़ीकरण में पेड़ों को काटने की बजाय दूसरी जगह लगाने की जरूरत, कोर्ट ने NHAI और राज्य सरकार से जवाब तलब किया।

Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट ने एक बड़ी सुनवाई में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। यह मामला सड़क चौड़ी करने के दौरान पेड़ों को काटने से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि पेड़ों को काटने की बजाय उन्हें दूसरी जगह लगाना चाहिए। यह फैसला एक जनहित याचिका पर आया है, जिसमें पर्यावरण बचाने की बात की गई है। मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की बेंच ने यह सुनवाई की।
सुनवाई में क्या हुआ?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने NHAI से पूछा कि पेड़ों को दूसरी जगह ले जाने में क्या समस्या है। NHAI ने बताया कि उनका अनुबंध में यह शामिल नहीं है और उनके पास इसके लिए मशीनें भी नहीं हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि अनुबंध तो इंसान ही बनाते हैं, इसे क्यों नहीं बदला जा सकता। कोर्ट ने यह भी पूछा कि पहले हाई पावर कमेटी ने 14 इंच से ज्यादा मोटे पेड़ों को दूसरी जगह लगाने का नियम बनाया था, लेकिन राज्य सरकार ने इसे 7 इंच तक कम कर दिया। याचिकाकर्ता इंद्रजीत सामंथा ने इस बदलाव पर सवाल उठाया है। राज्य सरकार ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया, जबकि NHAI ने जवाब देने के लिए और समय मांगा, जो कोर्ट ने दे दिया।
पर्यावरण की चिंता क्यों?
झारखंड में सड़कें बनाने के लिए अक्सर पेड़ काटे जाते हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है। याचिका में कहा गया है कि पेड़ों को ट्रांसलोकेट यानी दूसरी जगह लगाने से पर्यावरण बचेगा और सड़कें भी बनेंगी। पहले रांची के डोरंडा में एक कल्पतरु पेड़ काटने का मामला कोर्ट में आया था, जिस पर कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया और मामला सुलझाया। अब यह नई याचिका पूरे राज्य में पेड़ बचाने की कोशिश है। विशेषज्ञ कहते हैं कि पेड़ कटाई से जलवायु बदलाव बढ़ता है और प्रदूषण फैलता है।
आगे क्या होगा?
कोर्ट ने NHAI और सरकार को जल्द जवाब देने को कहा है। अगर ट्रांसलोकेशन को अनुबंध का हिस्सा बनाया जाए, तो हजारों पेड़ बच सकते हैं। झारखंड के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इससे पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और विकास भी होगा। यह फैसला अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण बन सकता है। कुल मिलाकर, यह मामला दिखाता है कि कानून पर्यावरण बचाने में कितना महत्वपूर्ण है।