
नई दिल्ली: प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने कहा कि यदि दिल्ली-एनसीआर के नागरिकों को स्वच्छ हवा का अधिकार है, तो देश के अन्य शहरों में रहने वाले लोगों को भी यह अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि पर्यावरण और वायु गुणवत्ता से जुड़ी नीतियां केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि पूरे देश (Pan India) स्तर पर लागू होनी चाहिए।
NCR तक सीमित क्यों?
CJI गवई ने सुनवाई के दौरान कहा, “हम सिर्फ दिल्ली के लिए नीति नहीं बना सकते, क्योंकि वहां देश का एलीट वर्ग रहता है। मैं पिछले साल सर्दियों में अमृतसर गया था और वहां प्रदूषण की स्थिति दिल्ली से भी बदतर थी। अगर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है, तो वह पूरे देश में लागू होना चाहिए।”
यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पटाखों की बिक्री, भंडारण, परिवहन और निर्माण पर प्रतिबंध लगाने वाले 3 अप्रैल के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। अदालत ने इस मामले में कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को नोटिस जारी किया और दो हफ्ते में जवाब मांगा है।
पुनर्विचार का सवाल नहीं
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने साफ किया कि पिछले छह महीनों में अदालत के कई आदेश इस तथ्य को दर्शाते हैं कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर भयावह स्थिति में पहुंच चुका है। कोर्ट ने कहा:
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स्वास्थ्य का अधिकार, संविधान के अनुच्छेद 21 का हिस्सा है।
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प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार भी नागरिकों का बुनियादी अधिकार है।
पीठ ने यह भी कहा कि जब तक अदालत इस बात से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो जाती कि तथाकथित ग्रीन क्रैकर्स से होने वाला प्रदूषण न्यूनतम है, तब तक पिछले आदेशों पर पुनर्विचार करने का कोई प्रश्न नहीं उठता।
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