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डोनाल्ड ट्रंप का चीन पर लेटर बम: दुर्लभ खनिजों के निर्यात नियंत्रण पर बढ़ा तनाव, ट्रेड वॉर की आशंका

डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर तीखा हमला बोलते हुए एक बड़ा “लेटर बम” फोड़ा है। ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल अकाउंट पर पोस्ट किए गए लंबे पत्र में चीन पर आरोप लगाया कि वह दुर्लभ पृथ्वी खनिजों और अन्य महत्वपूर्ण तत्वों पर वैश्विक निर्यात नियंत्रण लागू करना चाहता है। ट्रंप के मुताबिक यह कदम न केवल अमेरिका बल्कि दुनिया भर के देशों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

ट्रंप ने अपने पोस्ट में लिखा, “चीन अब बेहद शत्रुतापूर्ण हो गया है और कई देशों को पत्र भेजकर चेतावनी दी है कि वह दुर्लभ पृथ्वी तत्वों और अन्य सामग्रियों पर निर्यात नियंत्रण लागू करेगा। ऐसा कदम पहले कभी नहीं देखा गया और इससे दुनिया के अधिकांश देशों के लिए हालात मुश्किल हो सकते हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि बीते छह महीनों में अमेरिका-चीन संबंधों में सुधार दिख रहा था, लेकिन यह कदम “चौंकाने वाला” और “विश्व व्यवस्था को बाधित करने वाला” है।

ट्रंप ने आरोप लगाया कि चीन लंबे समय से चुपचाप खनिजों पर एकाधिकार की रणनीति अपना रहा था। उन्होंने कहा, “चीन को दुनिया को बंधक बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने मैग्नेट्स और अन्य महत्वपूर्ण तत्वों को एकाधिकार में बदल दिया है। लेकिन अमेरिका के पास भी मजबूत विकल्प हैं और यदि जरूरी हुआ तो हम वित्तीय प्रतिकार करेंगे।”

ट्रंप ने बताया कि वह दो सप्ताह बाद दक्षिण कोरिया में APEC सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने वाले थे, लेकिन अब इसकी संभावना बेहद कम है। उन्होंने लिखा, “चीनी पत्र बिल्कुल अनुपयुक्त समय पर आया। यह वही दिन था जब मध्य पूर्व में शांति स्थापित हुई थी। मुझे नहीं पता यह संयोग था या रणनीति।”

ट्रंप ने संकेत दिया कि अमेरिका चीन के इस कदम का जवाब भारी आयात शुल्क लगाकर दे सकता है। साथ ही, उन्होंने चेतावनी दी कि कई अन्य आर्थिक प्रतिबंधों पर भी विचार किया जा रहा है।

ट्रंप ने लिखा, “शायद अब समय आ गया है कि हम चीन को कड़ा जवाब दें। भले ही शुरुआत में यह दर्दनाक हो, लेकिन अंत में यह अमेरिका के लिए बहुत अच्छा साबित होगा।”

ट्रंप के इस “लेटर बम” से संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले दिनों में अमेरिका और चीन के बीच नई ट्रेड वॉर छिड़ सकती है। चूंकि दुर्लभ पृथ्वी खनिजों का उपयोग सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरी और रक्षा उद्योग में होता है, ऐसे में चीन के कदम का असर पूरी दुनिया की सप्लाई चेन पर पड़ सकता है।

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