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तालिबान शासन के बाद पहली बार भारत पहुंचे अफगान विदेश मंत्री, एस जयशंकर से मुलाकात में कई अहम घोषणाएं

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबान शासन आने के बाद पहली बार कोई वरिष्ठ अफगान नेता भारत दौरे पर आया है। विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी शुक्रवार को 8 दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से हुई। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई, जिसमें कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने और सहयोग बढ़ाने पर कई अहम फैसले लिए गए।

बैठक में डॉ. एस. जयशंकर ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि भारत काबुल स्थित अपने तकनीकी मिशन को पूर्ण दूतावास के स्तर पर उन्नत करेगा। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़ा रहा है और आगे भी विकास व मानवीय सहयोग में मदद करता रहेगा।

जयशंकर ने कहा, “भारत शुभचिंतक के रूप में अफगानिस्तान के विकास और प्रगति में गहरी रुचि रखता है। चाहे स्वास्थ्य सेवाएं हों, भूकंप जैसी आपदाएं हों या खाद्य सहायता—भारत हर स्थिति में अफगान जनता के साथ खड़ा रहा है।”

मुत्ताकी बोले– भारत को घनिष्ठ मित्र मानते हैं

अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने भारत के साथ रिश्तों की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कब्जे के दौरान भी अफगानिस्तान ने कभी भारत के खिलाफ बयान नहीं दिए।

मुत्ताकी ने कहा, “भारत हमेशा हमारे लोगों के साथ खड़ा रहा है। हम इसे घनिष्ठ मित्र मानते हैं और आपसी सम्मान व लोगों के बीच संबंधों पर आधारित रिश्ते चाहते हैं। अफगानिस्तान किसी भी समूह को अपनी जमीन का इस्तेमाल दूसरों के खिलाफ नहीं करने देगा।”

भारत देगा 20 एंबुलेंस और मेडिकल उपकरण

भारत ने अफगानिस्तान के लिए कई मानवीय व विकास संबंधी मदद का ऐलान किया। जयशंकर ने कहा कि भारत 20 एंबुलेंस उपहार में देगा। इसके अलावा अफगान अस्पतालों को एमआरआई और सीटी स्कैन मशीनें भी उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही टीकाकरण अभियान के लिए वैक्सीन भी भेजी जाएंगी।

भारत ने अफगानिस्तान में 6 नई परियोजनाओं पर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।

भारत ने अफगान छात्रों को भारतीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के अधिक अवसर देने का भी ऐलान किया। इसके अलावा दोनों देशों के बीच खेल सहयोग को भी बढ़ाने की बात हुई। जयशंकर ने कहा कि अफगान क्रिकेट ने दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है और भारत अफगान क्रिकेट को हर संभव समर्थन देगा।

यह दौरा भारत-अफगान रिश्तों में एक नया अध्याय खोल सकता है। लंबे समय से तालिबान शासन के कारण दूरी बनी हुई थी, लेकिन मुत्ताकी की यात्रा ने यह संकेत दिया है कि दोनों देश व्यावहारिक सहयोग और मानवीय आधार पर संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।

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