Bihar Politics: मुसलमानों ने छोड़ा साथ, यादव भी रूठ गए, इस हार को भुला नहीं पाएगी RJD
बिहार चुनाव: RJD की करारी हार, 'MY' (मुस्लिम-यादव) फैक्टर ने दिया धोखा, AIMIM को फायदा।
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और महागठबंधन के लिए झटका साबित हुए हैं। एनडीए ने 243 सीटों में से 196 पर मजबूत बढ़त बना ली है, जबकि महागठबंधन महज 28 सीटों तक सीमित रह गया। विशेषज्ञों का मानना है कि RJD की इस बुरी हार का मुख्य कारण उसका पारंपरिक वोट बैंक ‘MY’ (मुस्लिम-यादव) का साथ छोड़ना है। RJD ने अपनी पूरी रणनीति इसी समीकरण पर टिका रखी थी, लेकिन वोटरों ने इसे नकार दिया। यह हार पार्टी के लिए लंबे समय तक याद रहेगी।
मुसलमान वोटरों का झुकाव AIMIM की ओर
चुनाव के रुझानों से साफ हो गया कि मुसलमान वोटरों ने RJD को ठेंगा दिखा दिया। पार्टी ने 18 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन केवल तीन ही जीत की दौड़ में हैं। असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने शानदार प्रदर्शन किया। खासकर सीमांचल क्षेत्र में AIMIM के छह उम्मीदवार मजबूत बढ़त पर हैं। RJD ने चुनाव से पहले ओवैसी के साथ गठबंधन से इनकार कर दिया था, जिसका खामियाजा भुगता। विशेषज्ञ कहते हैं कि मुसलमानों ने RJD को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल होने से इनकार कर दिया। AIMIM ने मुस्लिम मुद्दों पर फोकस कर वोट हथियाए।
यादव वोट बैंक भी फिसला, मोदी-नीतीश का जादू चला
RJD के लिए सबसे बड़ा झटका यादव बहुल सीटों से आया। पार्टी ने 50 सीटों पर यादव उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन केवल तीन ही आगे हैं। यादव वोटरों ने इस बार एकजुट समर्थन नहीं दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की योजनाओं ने जातिगत बंधनों को तोड़ा। कल्याणकारी योजनाओं से लाभार्थी बने यादवों ने एनडीए को वोट दिया। RJD की रणनीति पूरी तरह विफल रही।
RJD के लिए सबक: पारंपरिक वोट बैंक पर अंधा भरोसा अब नहीं चलेगा
यह हार RJD के लिए कड़वा सबक है। पार्टी को अपनी रणनीति बदलनी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार की राजनीति में विकास और कल्याण के मुद्दे अब जाति से ऊपर उठ गए हैं। RJD को मुस्लिम और यादव वोटों पर अंधा भरोसा बंद करना होगा। AIMIM का उभार और एनडीए की मजबूती RJD के लिए चुनौती बनेगी। तेजस्वी यादव को अब नई रणनीति अपनानी होगी।



