250 साल पहले जर्मनी का एक प्रोफेसर ने बोला था – “अगर सब ऐसा करें तो दुनिया खत्म हो जाएगी”।
इमैनुअल कांट (1724-1804) ने अपनी किताब “Groundwork of the Metaphysics of Morals” में एक साधारण सा नियम दिया जिसे आज भी दुनिया का सबसे सख्त नैतिक टेस्ट माना जाता है
डेस्क: एक जवान लड़का झूठ बोलकर नौकरी पा लेता है ,एक नेता वादा करके मुकर जाता है, आप भी कभी-कभी छोटा सा झूठ बोल देते हैं – “बस 5 मिनट में पहुँच रहा हूँ”. लेकिन 250 साल पहले जर्मनी का एक प्रोफेसर बोला था – “अगर सब ऐसा करें तो दुनिया खत्म हो जाएगी”।
इमैनुअल कांट और उनका “कैटेगोरिकल इम्पेरेटिव”
इमैनुअल कांट (1724-1804) ने अपनी किताब “Groundwork of the Metaphysics of Morals” में एक साधारण सा नियम दिया जिसे आज भी दुनिया का सबसे सख्त नैतिक टेस्ट माना जाता है:
“उस सिद्धांत के अनुसार ही काम करो जिसे तुम चाहो कि वो सार्वभौमिक नियम बन जाए।” यानी – जो तुम खुद के लिए कर रहे हो, अगर कल से दुनिया का हर इंसान वही करने लगे, तो क्या दुनिया चल सकती है?
न्यूरोसाइंस और मनोविज्ञान भी कांट से सहमत हैं
- मिरर न्यूरॉन्स: जब हम झूठ बोलते हैं, सामने वाले का दिमाग भी झूठ को “नॉर्मल” मानने लगता है।
- ट्रस्ट का टूटना: हार्वर्ड की 50 साल की स्टडी – जिन समाजों में विश्वास कम होता है, वहाँ डिप्रेशन और क्राइम 40% ज्यादा।
- गोल्डन रूल का वैज्ञानिक आधार: कांट का नियम ही हर धर्म में “दूसरों से वैसा ही करो जैसा तुम चाहते हो कि तुम्हारे साथ हो” का दार्शनिक रूप है।
जोखिम – जब हम कांट के नियम को रोज तोड़ते हैं:
एक छोटा सा उदाहरण: आप रेड लाइट जंप करते हैं क्योंकि “बस आज लेट हो रहा हूँ”। कल से हर कोई यही सोचे तो? कोई ट्रैफिक नियम नहीं बचेगा, हर चौराहा जाम, हर दिन एक्सीडेंट। इसी तरह:
- छोटा झूठ → सब झूठ बोलें → किसी का भरोसा न रहे
- टैक्स चोरी → सब करें → देश के अस्पताल-स्कूल बंद
- वादा तोड़ना → सब तोड़ें → कोई रिश्ता न बचे
कांट कहते थे – “नैतिकता कोई भावना नहीं, तर्क है।”
क्या करें – रोजाना कांट का टेस्ट लेना
| आपकी हरकत | कांट का सवाल | पास/फेल |
|---|---|---|
| व्हाट्सएप पर “बिजी हूँ” लिखना जबकि फ्री हैं | अगर सब हमेशा ऐसा करें तो? | फेल |
| ऑफिस में 10 मिनट लेट आना | अगर हर कर्मचारी रोज ऐसा करे तो? | फेल |
| किसी की मदद करना बिना उम्मीद के | अगर हर कोई ऐसा करे तो? | पास |
| सच्चाई बोलना चाहे नुकसान हो | अगर सब सच्चे हों तो? | पास |
- दिन में 3 बार रुकें और पूछें – “ये काम अगर सब करें तो?”
- एक दिन पूरा “कांट डे” रखें – कोई झूठ नहीं, कोई बहाना नहीं
- शाम को डायरी में लिखें – आज कितनी बार फेल हुए
निष्कर्ष:
इमैनुअल कांट ने कभी शादी नहीं की, कभी शहर से बाहर नहीं गए, लेकिन उनकी एक लाइन ने पूरी दुनिया को बदलने की ताकत दी। हममें से ज्यादातर लोग अच्छे बनना चाहते हैं, पर “सब ऐसा ही करते हैं” कहकर बहाना बना लेते हैं। कांट कहते हैं – अच्छाई बहुमत से नहीं, तर्क से तय होती है। आज रात सोने से पहले सिर्फ एक सवाल पूछिए: “कल अगर मेरा बेटा मेरे जैसे ही झूठ बोलेगा, तो मैं उसे क्या समझाऊँगा?”जवाब मिलते ही आप कांट को समझ जाएंगे।
“दुनिया को बदलना है तो पहले खुद को वो नियम मान लो जिसे तुम दुनिया पर थोपना चाहते हो।” – इमैनुअल कांट



