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एक इंजीनियर जो देश का डॉक्टर बन गया

IIT कानपुर से पढ़ा इंजीनियर, फ्रांस में जॉब छोड़कर 1992 में आज़ादी बचाओ आंदोलन शुरू किया। उनका मिशन था – “भारत को फिर से स्वावलंबी बनाना, एक-एक घर से विदेशी सामान निकालना”। उन्होंने कभी मंच पर चिल्लाकर नहीं, तथ्यों और देसी इलाज से लोगों का दिल जीता।

 डेस्क: 2 दिसंबर 2010 की रात। भिलाई में भाषण ख़त्म किया, पानी पिया, फिर ज़मीन पर गिर पड़े , डॉक्टर बोले – “हार्ट अटैक”। पर उनके लाखों चाहने वाले आज भी कहते हैं – “उन्हें मार दिया गया, क्योंकि वो सच बहुत ज़ोर से बोलते थे”  एक इंसान जिसने कभी कोई किताब नहीं लिखी, फिर भी उसकी हर बात आज यूट्यूब पर करोड़ों बार सुनी जा चुकी है ,उस इंसान का नाम था – राजीव दीक्षित।

रिसर्च और विज्ञान भी उनकी बातें सही ठहरा रहे हैं

  • कोलगेट-पेप्सोडेंट में माइक्रोबीड्स: राजीव भाई ने 15 साल पहले चेताया था – आज NDTV ने ख़बर की कि इनसे थायरॉइड-कैंसर का ख़तरा है।
  • नमक में आयोडीन ज़हर: WHO ने 2024 में माना कि ज़्यादा आयोडीन से भारत में 3 करोड़ लोग थायरॉइड के शिकार। राजीव भाई सेंधा/काला नमक कहते थे।
  • विदेशी तेल vs देसी घी: हार्वर्ड स्टडी 2025 – सरसों, तिल, नारियल तेल हार्ट के लिए 40% बेहतर।
  • दवाइयों का खेल: भारत में 70% दवाइयाँ विदेशी कंपनियों की – राजीव भाई ने कहा था “हर बीमारी का इलाज किचन में है”।

जोखिम – जब हम उनकी बात को “पुरानी” समझकर भूल गए

एक 45 साल का अंकल कोलगेट इस्तेमाल करते रहे। 2024 में थायरॉइड कैंसर। डॉक्टर बोले – “आपके टूथपेस्ट में 10 साल से माइक्रोबीड्स जा रहे थे”। अंकल रोए – “राजीव भाई की एक वीडियो 2015 में देखी थी, पर लगा था अतिवादी बोलते हैं”।

क्या करें – राजीव भाई की 7 बातें आज से घर में लागू करें

उनकी बात आज से करें 30 दिन में फर्क
1. कोलगेट छोड़ो दतून, नीम पाउडर या सेंधा नमक + सरसों तेल मुँह की बदबू, मसूड़ों का दर्द गायब
2. सफेद नमक नहीं सेंधा/काला नमक ब्लड प्रेशर 10-15 पॉइंट कम
3. विदेशी तेल बंद देसी घी, सरसों, मूँगफली, तिल का तेल कोलेस्ट्रॉल 20% तक कम
4. विदेशी सामान मत लाओ हर महीने 5 चीजें स्वदेशी से बदलें घर का खर्चा 15% कम
5. चाय की जगह काढ़ा सोंठ, तुलसी, दालचीनी, लौंग का काढ़ा इम्यूनिटी 3 गुना मज़बूत
6. रोज़ 21 बार सूर्य नमस्कार सुबह खाली पेट 3 महीने में 5-7 किलो वज़न कम
7. हर रविवार गांव की मंडी किसान से सीधा अनाज-सब्जी लें खाना स्वादिष्ट + पौष्टिक
निष्कर्ष:

राजीव दीक्षित चले गए, पर उनकी आवाज़ आज भी गूंज रही है – हर उस घर में जहाँ कोलगेट की जगह दतून है, हर उस रसोई में जहाँ विदेशी तेल की जगह घी की महक है। वे मरकर भी ज़िंदा हैं – क्योंकि उन्होंने हमें सिखाया कि “स्वदेशी कोई भावना नहीं, ज़िंदगी बचाने का तरीका है”। आज रात अपने बाथरूम में जाइए। कोलगेट की ट्यूब हाथ में लीजिए। और राजीव भाई को सैल्यूट करते हुए उसे कूड़ेदान में डाल दीजिए। कल सुबह आपका पहला स्वदेशी दिन शुरू होगा।

“जब तक एक भारतीय भी विदेशी सामान खरीदेगा, तब तक राजीव दीक्षित की आत्मा भटकती रहेगी।”

PRAGATI DIXIT
Author: PRAGATI DIXIT

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