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West Bengal Election: भाजपा का 'मिशन बंगाल' तेज, 160+ सीटों का लक्ष्य, ममता बनर्जी को चुनौती

भाजपा की रणनीति, अभिषेक बनर्जी के प्रति वफादारी न रखने वाले टीएमसी कार्यकर्ताओं को जोड़ना, 'बाहरी' और बांग्लादेश सीमा पर ढील का मुद्दा उठाना।

West Bengal Election: बिहार में शानदार जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी नजरें पश्चिम बंगाल पर टिकाई हैं। अगले साल मार्च-अप्रैल में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने ‘मिशन बंगाल’ अभियान को जोर-शोर से शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा का मुख्य उद्देश्य ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को सत्ता से उखाड़ फेंकना है। बिहार की तरह यहां भी 160 से अधिक सीटें जीतने का इरादा है। यह रणनीति दिल्ली और बिहार की सफलताओं के बाद पूर्वी भारत में पार्टी की मजबूती का संकेत दे रही है। लेकिन बंगाल की राजनीति में जाति से ज्यादा क्षेत्रीय और धार्मिक मुद्दे हावी रहते हैं, जो भाजपा के लिए नई चुनौती पेश कर रहे हैं।

भाजपा की सधी हुई रणनीति: टीएमसी कार्यकर्ताओं को तोड़ो, वंशवाद पर हमला बोलो

भाजपा की योजना बंगाल की सियासत को हिलाने वाली है। पार्टी टीएमसी के उन कार्यकर्ताओं को निशाना बनाएगी, जो अभिषेक बनर्जी के प्रति पूरी वफादारी नहीं रखते। अभिषेक ममता बनर्जी के भतीजे और डायमंड हार्बर से तीन बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। एक भाजपा नेता ने कहा, “अभिषेक को भविष्य का मुख्यमंत्री बनाकर थोपना बंगाल की पुरानी राजनीतिक परंपराओं से टकराव पैदा कर रहा है। यहां वंशवाद पहले कभी हावी नहीं था।” पार्टी का फोकस ग्रासरूट स्तर पर टीएमसी का आधार कमजोर करना है।

2021 के विधानसभा चुनाव से सबक लेते हुए, भाजपा अब दल-बदलू नेताओं को इतनी तवज्जो नहीं देगी। उस समय सुवेंदु अधिकारी जैसे प्रमुख टीएमसी नेताओं को पार्टी में लाकर फायदा हुआ था, जिन्होंने नंदीग्राम में ममता को हराया। लेकिन अब वोट शेयर में ज्यादा इजाफा न होने से संगठन पर जोर दिया जा रहा है। पार्टी टीएमसी कार्यकर्ताओं को जोड़कर जोखिम-मुक्त अभियान चलाएगी। यह कदम बंगाल की 294 सीटों वाली सभा में भाजपा को मजबूत बनाएगा।

जाति से ज्यादा ध्रुवीकरण: मुस्लिम वोटों पर टीएमसी का दबदबा, भाजपा की रणनीति

बिहार में जातिगत समीकरण साधकर भाजपा और जेडीयू ने 243 में से 200+ सीटें जीतीं। लेकिन बंगाल में जाति राजनीति कमजोर है। यहां लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, जो 30-40 सीटों (कुल 14 प्रतिशत से कम) पर असर डालती है। टीएमसी इन इलाकों से मजबूत वोट हासिल करती है। भाजपा का मानना है कि इससे सीटों पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। इसलिए पार्टी हिंदू वोटरों के बीच ध्रुवीकरण पर फोकस करेगी।

‘बाहरी’ का मुद्दा भी गरमाया हुआ है। भाजपा ममता बनर्जी पर बांग्लादेश सीमा पर ढील बरतने का आरोप लगाती है, जिससे अवैध प्रवासी बंगाल में बसकर टीएमसी का वोट बैंक मजबूत हो रहा है। वहीं, टीएमसी भाजपा को गुजरात से जुड़े ‘बाहरी ताकतों’ के रूप में पेश करती है, जो बंगाल-विरोधी हैं। यह जंग 2026 के चुनाव को रोचक बनाएगी।

चुनावी आंकड़े और चुनौतियां: 2021 से सीख, 160-170 सीटों का सपना

पिछले चार चुनावों में भाजपा ने बंगाल में 100+ सीटें जीतीं। 2019 लोकसभा में 18 सीटें और 40.25 प्रतिशत वोट शेयर मिला। 2021 विधानसभा में 77 सीटें और 38.14 प्रतिशत वोट। इस साल लोकसभा में वोट शेयर गिरा और 12 में से 6 सीटें गंवाईं। उत्तरी और दक्षिणी जिलों में पार्टी मजबूत है, जहां वोट बढ़ रहे हैं। लक्ष्य 160-170 सीटें जीतना है, लेकिन उम्मीदवार चयन में सावधानी बरतनी होगी।

Sanjna Gupta
Author: Sanjna Gupta

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