Al-Falah University: दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट से जुड़े संदिग्धों की गिरफ्तारी के बाद फरीदाबाद के धौज स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी सुर्खियों में आ गई है। इस यूनिवर्सिटी का संचालन ‘अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट’ करता है, जिसकी स्थापना 1995 में हुई थी। 70 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला यह कैंपस इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेज और 650 बिस्तरों वाले धर्मार्थ अस्पताल सहित कई सुविधाओं से लैस है। लेकिन अब यूनिवर्सिटी की मान्यता पर सवाल उठ रहे हैं। हरियाणा सरकार ने इसे निजी विश्वविद्यालय का दर्जा दिया था, जबकि यूजीसी ने भी मान्यता प्रदान की थी। हालांकि, राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) ने यूनिवर्सिटी को कारण बताओ नोटिस जारी कर 7 सवाल पूछे हैं और यूजीसी सहित अन्य निकायों को चेतावनी दी है।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी को मान्यता कैसे मिली?
अल-फलाह मेडिकल यूनिवर्सिटी की शुरुआत 2019 में हुई थी। इसे दो प्रमुख स्तरों पर मान्यता प्राप्त हुई:
1. राज्य सरकार से विश्वविद्यालय दर्जा
- स्थापना वर्ष: 2014 में हरियाणा सरकार ने ‘हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम’ के तहत इसे आधिकारिक तौर पर विश्वविद्यालय का दर्जा दिया।
- प्रक्रिया: हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित विशेष अधिनियम के तहत स्थापना की गई। यह राज्य में निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को नियंत्रित करने वाला कानून है।
2. यूजीसी से अखिल भारतीय मान्यता
- मान्यता वर्ष: 2015 में यूजीसी अधिनियम की धारा 2(f) के तहत अखिल भारतीय स्तर पर मान्यता मिली।
- महत्व: इससे यूनिवर्सिटी को डिग्री प्रदान करने का कानूनी अधिकार मिला।
इसके अलावा, यूनिवर्सिटी से जुड़े अल-फलाह स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर को नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) से मान्यता प्राप्त है। एनएएसी से ‘A’ ग्रेड भी मिला था, लेकिन यह केवल इंजीनियरिंग और एजुकेशन स्कूलों के लिए 5 वर्षों (2018 और 2016 में समाप्त) के लिए था। ओवरऑल एनएएसी मान्यता के लिए कभी आवेदन नहीं किया गया।
एनएएसी ने लगाई सख्ती: 7 सवालों का कारण बताओ नोटिस
विस्फोट से जुड़े संदिग्धों की गिरफ्तारी के बाद एनएएसी ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी को वेबसाइट पर झूठी मान्यता दिखाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया। नोटिस में 7 दिनों के अंदर जवाब मांगा गया है। एनएएसी ने इसे गुमराह करने वाला बताया और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। पूछे गए सवाल इस प्रकार हैं:
- अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए?
- भविष्य में मूल्यांकन और प्रत्यायन के लिए यूनिवर्सिटी को अयोग्य क्यों न ठहराया जाए?
- यूजीसी से धारा 2(f) और 12B के तहत मान्यता वापस लेने की सिफारिश क्यों न की जाए?
- एनएमसी से मेडिकल कार्यक्रमों की मान्यता वापस लेने की सिफारिश क्यों न की जाए?
- एनसीटीई से शिक्षा कार्यक्रमों की मान्यता वापस लेने की सिफारिश क्यों न की जाए?
- हरियाणा सरकार से यूनिवर्सिटी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश क्यों न की जाए?
- एआईसीटीई से इंजीनियरिंग कार्यक्रमों की मान्यता वापस लेने की सिफारिश क्यों न की जाए?
एनएएसी ने यूजीसी, एनएमसी, एनसीटीई, राज्य सरकार और एआईसीटीई को चेतावनी दी है।
यूनिवर्सिटी पर असर: जांच का दायरा बढ़ा
विस्फोट से जुड़े संदिग्धों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने यूनिवर्सिटी में छापेमारी की। वीसी डॉ. भूपिंदर कौर ने सफाई दी कि यह व्यक्तिगत मामला है। लेकिन एनएएसी की चेतावनी से मान्यता रद्द होने का खतरा बढ़ गया। छात्रों में डर का माहौल है।



