Bihar Chunav 2025: तेज प्रताप यादव बिहार चुनाव में किंगमेकर बनेंगे? महुआ से जीत पर तेजस्वी के कद पर असर
RJD से अलग होकर लड़ रहे चुनाव, जीत से तेजस्वी के राजनीतिक कद और परिवार में उत्तराधिकार पर पड़ेगा असर।
Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम 14 नवंबर को आने वाले हैं। इस बीच लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव पर सबकी नजरें टिकी हैं। वे महुआ विधानसभा सीट से अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। अगर वे जीत जाते हैं, तो बिहार की सियासत में किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं। तेज प्रताप की जीत से राजद पर भले असर न पड़े, लेकिन परिवार और तेजस्वी यादव के राजनीतिक कद पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
तेज प्रताप 2015 में महुआ से विधायक रह चुके हैं, लेकिन 2020 में हसनपुर से लड़े थे। इस बार उनका मुकाबला राजद के मुकेश रौशन से है। गृह मंत्रालय ने उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा दी है, जो उनकी संभावित भूमिका की ओर इशारा करती है। तेज प्रताप यादव बिहार चुनाव किंगमेकर का यह सवाल राज्य की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है।
तेज प्रताप यादव: परिवार की राजनीति में नया अध्याय
तेज प्रताप यादव का जन्म 16 अप्रैल 1988 को पटना में हुआ। वे लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के बड़े बेटे हैं। शिक्षा पटना से पूरी की। 2015 में महुआ से जीतकर विधायक बने, लेकिन 2020 में हसनपुर से लड़े। तीन महीने पहले प्रभात खबर पॉडकास्ट में उन्होंने कहा था कि वे किंगमेकर बनना चाहते हैं और विकल्प खुले रखेंगे। उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय हैं। राजद ने उन्हें एक सोशल मीडिया पोस्ट के कारण पार्टी से निकाल दिया था, जो सामाजिक मूल्यों के खिलाफ था।
अब वे स्वतंत्र पार्टी चला रहे हैं। अगर एनडीए की सीटें कम रहती हैं, तो वे सरकार गठन में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। बीजेपी नेता रविकिशन के साथ उनकी एयरपोर्ट मुलाकात इसी ओर इशारा करती है। धर्मेंद्र प्रधान पटना में हैं, लेकिन तेज प्रताप से संपर्क प्रयास विफल रहा। तेज प्रताप यादव बिहार चुनाव किंगमेकर की संभावना से एनडीए उन्हें राजद के खिलाफ तुरुप का पत्ता मान सकती है।
महुआ सीट: तेज प्रताप vs मुकेश रौशन का मुकाबला
महुआ विधानसभा सीट पर तेज प्रताप का सीधा मुकाबला राजद के मुकेश रौशन से है। 2015 में तेज प्रताप ने यहां 25,000 वोटों से जीत हासिल की थी। लेकिन 2020 में राजद ने उन्हें टिकट नहीं दिया। अब स्वतंत्र लड़ाई में उनकी जीत मुश्किल लग रही, लेकिन अगर वे जीतते हैं, तो विधानसभा में तेजस्वी के साथ होने से असहज स्थिति बनेगी। तेजस्वी को बड़े भाई के खिलाफ बोलना मुश्किल होगा, जबकि तेज प्रताप राजद पर खुलकर हमला बोल सकेंगे। इससे पार्टी विधायकों में भ्रम फैल सकता है। प्रभात खबर के विश्लेषक मिथिलेश कुमार कहते हैं, “तेज प्रताप की जीत से राजद पर सीधा असर न हो, लेकिन परिवार में उत्तराधिकार विवाद तेज हो जाएगा।”
परिवार गतिशीलता: लालू के उत्तराधिकारी पर सवाल
लालू परिवार की राजनीति हमेशा चर्चा में रही। लालू ने तेजस्वी को उत्तराधिकारी चुना, लेकिन तेज प्रताप को सबसे प्रिय बेटा मानते हैं। राबड़ी देवी और बहन रोहिणी आचार्य ने 6 नवंबर को मतदान से पहले तेज प्रताप को आशीर्वाद दिया। लेकिन तेजस्वी ने महुआ में मुकेश रौशन के पक्ष में प्रचार किया। दोनों भाई खुलकर विरोध नहीं करते, लेकिन मतभेद साफ हैं। तेज प्रताप की जीत से उत्तराधिकार पर दावा मजबूत होगा। लालू ने कहा था कि परिवार एक है, लेकिन राजनीति अलग। तेज प्रताप यादव बिहार चुनाव किंगमेकर बनने से परिवार में तनाव बढ़ सकता है।
राजद की रणनीति: तेज प्रताप को किनारे पर रखा
राजद ने तेज प्रताप को टिकट न देकर मुकेश रौशन को चुना। लालू ने स्पष्ट किया कि तेजस्वी ही नेता हैं। लेकिन तेज प्रताप की स्वतंत्र लड़ाई राजद के वोट बांट सकती है। अगर वे जीतते हैं, तो महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठेंगे। विश्लेषकों का कहना है कि यह परिवार की आंतरिक राजनीति को उजागर करेगा।



