बिहार चुनाव 2025: कांग्रेस और VIP के चार उम्मीदवारों ने वापस लिया नामांकन, क्या है पूरा मामला

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के नामांकन वापसी की अंतिम तिथि पर महागठबंधन ने अपनी एकजुटता का शानदार प्रदर्शन किया है। पटना के होटल मौर्या में बुधवार को हुई संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के ठीक बाद गठबंधन के चार उम्मीदवारों ने अपने सहयोगी दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पक्ष में नामांकन पत्र वापस ले लिया। इनमें कांग्रेस के तीन और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के एक उम्मीदवार शामिल हैं। इससे महागठबंधन के भीतर 12 सीटों पर होने वाली ‘फ्रेंडली फाइट’ (सहयोगी दलों के बीच दोस्ताना मुकाबला) अब घटकर महज 8 सीटों तक सिमट गई है। कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करते हुए VIP प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री बनाने का ऐलान भी किया, जिससे गठबंधन की खींचतान खत्म होने के संकेत मिले। यह कदम NDA के खिलाफ मजबूत मोर्चा बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, खासकर जब पहले चरण की 6 नवंबर को होने वाली वोटिंग के लिए प्रचार जोरों पर है।
महागठबंधन के घटक दलों ने सीट-शेयरिंग विवाद को सुलझाने के लिए त्वरित फैसला लिया। इससे RJD को चार महत्वपूर्ण सीटों पर मजबूती मिली है। विस्तार से देखें:
- वारसलीगंज (नवादा जिला): कांग्रेस के उम्मीदवार सतीश कुमार (उर्फ मंटन सिंह) ने RJD की अनीता देवी (बाहुबली नेता अशोक महतो की पत्नी) के पक्ष में नाम वापस लिया। अनीता अब अकेली दावेदार के रूप में मजबूत स्थिति में हैं।
- लालगंज (वैशाली जिला): कांग्रेस के आदित्य कुमार (उर्फ राजा) ने RJD की शिवानी शुक्ला के हित में अपना नामांकन रद्द कर दिया। इससे वैशाली क्षेत्र में गठबंधन की पकड़ और मजबूत हुई।
- बाबूबरही (मधुबनी जिला): VIP की बिंदु गुलाब यादव ने RJD के अरुण कुमार सिंह (उर्फ अरुण कुशवाहा) के समर्थन में कदम पीछे खींच लिया। मुकेश सहनी के इस फैसले से मधुबनी में विवाद समाप्त हो गया।
- प्राणपुर (कटिहार जिला): कांग्रेस के तौकीर आलम ने RJD की इशरत परवीन के पक्ष में नामांकन वापस लिया। कटिहार क्षेत्र में यह सीट गठबंधन के लिए रणनीतिक महत्व रखती है।
ये वापसियां नामांकन की अंतिम तिथि (23 अक्टूबर 2025) पर हुईं, जिससे गठबंधन को वोटों के बंटवारे का खतरा टल गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में RJD, कांग्रेस, VIP सहित सात दलों के 14 नेताओं ने भाग लिया और सभी ने एकजुटता पर जोर दिया। कुल मिलाकर, महागठबंधन ने 243 सीटों में से 252 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन अब विवादित सीटें कम हो गई हैं।
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यह फैसला महागठबंधन के लिए राहत की सांस लेकर आया है, क्योंकि पहले 12 सीटों पर आंतरिक टकराव से वोट बंटने का डर था। अब बाकी 8 सीटों पर ही ‘फ्रेंडली फाइट’ होगी, जो गठबंधन की रणनीति को मजबूत बनाएगी। बिहार चुनाव दो चरणों में हो रहे हैं—पहला चरण 6 नवंबर को 131 सीटों पर और दूसरा 11 नवंबर को शेष पर। नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। महागठबंधन का दावा है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में वे पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोटों को एकजुट करेंगे। वहीं, NDA ने अमित शाह की रैलियों से जोरदार प्रचार शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एकता NDA के लिए चुनौती बनेगी, खासकर वैशाली, नवादा, मधुबनी और कटिहार जैसे संवेदनशील जिलों में।



