बिहार चुनाव 2025: रालोजपा ने महागठबंधन को दिखाया ठेंगा, 25 सीटों पर उतारे उम्मीदवार

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आते ही राजनीतिक दलों की रणनीतियां तेज हो रही हैं। सीट बंटवारे पर महागठबंधन के साथ सहमति न बन पाने के बाद राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। पार्टी प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने शुक्रवार को पहली सूची जारी की, जिसमें 25 विधानसभा क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों के नाम घोषित किए गए। इस चयन में जातिगत, क्षेत्रीय और लिंग संतुलन पर खास ध्यान दिया गया है, जो पार्टी के पारंपरिक पासवान वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश लगती है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह कदम न केवल रालोजपा की स्वायत्तता दर्शाता है, बल्कि महागठबंधन के लिए वोटों के बंटवारे का खतरा भी पैदा कर सकता है।
सूची का सबसे प्रमुख नाम पारस के पुत्र यशराज पासवान का है, जिन्हें अनुसूचित जाति (SC) सुरक्षित सीट अलौली से टिकट दिया गया। यह फैसला पार्टी की पारिवारिक विरासत को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, खासकर तब जब रालोजपा ने 2020 में NDA छोड़ने के बाद अपनी पहचान बचाने की जद्दोजहद की है। यशराज की एंट्री से युवा पासवान समुदाय में उत्साह है, जो बिहार की राजनीति में इस जाति के वोटों का बड़ा हिस्सा रखता है। इसके अलावा, पार्टी ने महिलाओं और पिछड़े वर्गों को प्रतिनिधित्व देकर सामाजिक समावेशिता का संदेश देने की कोशिश की है।
रालोजपा ने अपनी सूची में दलित, OBC, महिलाओं और अल्पसंख्यकों का मिश्रण रखा है, जो बिहार के जटिल जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई लगती है। प्रमुख नामों में खगड़िया से पूनम यादव, बेलदौर से सुनीता शर्मा, साहेबपुर कमाल से संजय कुमार यादव, और बखरी से नीरा देवी शामिल हैं। इसी तरह, सिकंदरा से रामाधीन पासवान, राजपुर से अमर पासवान, चेनारी से सोनू कुमार नट, डुमरांव से मृत्युंजय कुशवाहा, और बक्सर से धर्मेंद्र राम को जिम्मेदारी सौंपी गई। आरा से हरे कृष्ण पासवान, अरवल से दिव्या भारती, इमामगंज से तपेश्वर पासवान, बराचट्टी से शिवकुमार नाथ निराला, और मोहनिया से अनिल कुमार भी मैदान संभालेंगे। यह चयन पूर्वी और मध्य बिहार के ग्रामीण इलाकों पर फोकस करता है, जहां रालोजपा का आधार मजबूत है।
सूत्र बताते हैं कि सीट शेयरिंग पर RJD-कांग्रेस के साथ लंबी खींचतान के बाद रालोजपा ने महागठबंधन से दूरी बना ली। पारस ने कहा कि पार्टी अब अपनी ताकत पर भरोसा करेगी, बिना किसी गठबंधन के बोझ के। जानकारों के अनुसार, यह कदम रालोजपा को अपनी पहचान मजबूत करने का मौका देगा, लेकिन अगर वोट बंटवारा हुआ तो NDA को फायदा हो सकता है। 2020 के चुनावों में रालोजपा ने NDA के साथ मिलकर 1 सीट जीती थी, लेकिन अब स्वतंत्र लड़ाई से पार्टी का भविष्य दांव पर है।
उम्मीदवारों की पूरी सूची: 25 सीटों पर दांव
रालोजपा की पहली सूची में शामिल सीटें और उम्मीदवार इस प्रकार हैं:
- अलौली: यशराज पासवान
- खगड़िया: पूनम यादव
- बेलदौर: सुनीता शर्मा
- साहेबपुर कमाल: संजय कुमार यादव
- बखरी: नीरा देवी
- सिकंदरा: रामाधीन पासवान
- राजपुर: अमर पासवान
- चेनारी: सोनू कुमार नट
- डुमरांव: मृत्युंजय कुशवाहा
- बक्सर: धर्मेंद्र राम
- आरा: हरे कृष्ण पासवान
- अरवल: दिव्या भारती
- इमामगंज: तपेश्वर पासवान
- बराचट्टी: शिव कुमार नाथ निराला
- मोहनिया: अनिल कुमार
- बरहरिया: सुनील पासवान
- कुढ़नी: विनोद राय
- बरूराज: संजय पासवान
- हरसिद्धि: मदन पासवान
- गरखा: विगन मांझी
- चिरैया: शेख सलाउद्दीन खान
- राजापाकर: शिवनाथ कुमार पासवान
- हाजीपुर (शहर): धनश्याम कुमार दाहा
- वैशाली: राम एकबाल कुशवाहा
- महुआ: शमसुज्जमा
चुनावी समीकरण में उलटफेर: महागठबंधन को चुनौती
रालोजपा के इस फैसले से महागठबंधन के अंदर नई उथल-पुथल मच सकती है, खासकर उन सीटों पर जहां पासवान वोट बैंक साझा है। विशेषज्ञों का आकलन है कि अगर रालोजपा अपने कोर वोटर्स को एकजुट कर पाई, तो अलौली, खगड़िया और वैशाली जैसी सीटों पर महागठबंधन को झटका लग सकता है। वहीं, NDA इसे अपने पक्ष में देख रहा है, क्योंकि वोट स्प्लिट से BJP-JDU को लाभ होगा। कुल मिलाकर, यह कदम बिहार की राजनीति को और रोचक बना देगा, जहां जातिगत गठजोड़ ही जीत का राजा होता है।



