Bihar Politics: 'मैं बागी हो गई हूं...', RJD से निकाले जाने पर फूटा रितु जायसवाल का गुस्सा, 'परिवारवाद' पर बोला तीखा हमला
राजद ने परिहार सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने पर रितु जायसवाल को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। रितु ने इसे 'दोहरा मापदंड' और 'परिवारवाद' की जीत बताया है।
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग (6 नवंबर) से ठीक पहले, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पार्टी के 27 बागी नेताओं को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इस सूची में सबसे प्रमुख नामों में से एक रितु जायसवाल (Ritu Jaiswal) का है, जो पार्टी से टिकट न मिलने पर सीतामढ़ी की परिहार सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही हैं।
पार्टी की इस कार्रवाई के बाद, रितु जायसवाल ने बगावती तेवर अपनाते हुए RJD नेतृत्व पर ‘दोहरे मापदंड’ और ‘परिवारवाद’ को बढ़ावा देने का गंभीर आरोप लगाया है।
Bihar Politics: RJD पर लगाया ‘दोहरे मापदंड’ का आरोप
पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित होने के बाद, रितु जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखकर अपना गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने लिखा, “कल पार्टी ने परिहार से मुझे, गोविंदपुर से मो. कामरान जी को, चिरैया से अच्छेलाल यादव जी को और कई अन्य जमीनी कार्यकर्ताओं को 6 साल के लिए बाहर कर दिया।”
उन्होंने पार्टी के फैसले पर सवाल उठाते हुए लिखा, “चलिए मान लेते हैं कि मैं बागी हो गईं हूं, लेकिन मो. कामरान जी का टिकट क्यों काटा गया? एक शांत स्वभाव के व्यक्ति, जो विधायक होते हुए भी पार्टी के कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभा रहे थे, उनका अपराध क्या था?”
‘परिवारवाद’ पर तीखा हमला
रितु जायसवाल ने परिहार सीट से आरजेडी के आधिकारिक उम्मीदवार पर निशाना साधते (जो पूर्व मंत्री रामचंद्र पूर्वे की पतोहु डॉ. स्मिता पूर्वे हैं) हुए ‘परिवारवाद‘ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “2020 में जब रामचंद्र पूर्वे जी ने एमएलसी रहते हुए परिहार में पार्टी विरोधी काम किया था, तब पार्टी का अनुशासन कहां था? अगर तब उन्हें 6 साल के लिए बाहर किया गया होता, तो क्या 2025 में अपने परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिला पाते?”
उन्होंने साफ लिखा, “स्पष्ट है कि पार्टी में दो मापदंड हैं – एक परिवार के लिए, दूसरा कार्यकर्ताओं के लिए।”
’11 नवंबर को बजेगी सीटी’
रितु जायसवाल ने अपनी बगावत को सही ठहराते हुए कहा कि अगर पार्टी किसी अन्य जमीनी कार्यकर्ता को टिकट देती, तो वह उसका पूरा समर्थन करतीं। उन्होंने लिखा, “जो कार्यकर्ता लगातार जनता के बीच खड़ा रहे, उसे टिकट न मिले, और जो परिवार गणेश परिक्रमा करे, उसे इनाम में टिकट दे दिया जाए – यह दोहरा मापदंड परिहार की जनता को स्वीकार नहीं है।”
उन्होंने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा, “इसकी गूंज 11 नवंबर (दूसरे चरण की वोटिंग) को सीटी बजाकर (उनका चुनाव चिह्न) पूरे बिहार को सुनाई जाएगी!”



