
Breast Cancer: नई दिल्ली, आधुनिक जीवनशैली और बदलती आदतों के बीच ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) भारत में महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर और चौंकाने वाली चुनौती बनकर उभरा है। यह भारतीय महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है, जिसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ग्लोबोकैन 2020 के आंकड़ों के अनुसार, यह भारत में सभी कैंसर के मामलों का लगभग 13.5% था। चिंता की बात यह है कि जानकारी के अभाव और सामाजिक झिझक के कारण, अधिकांश मामले एडवांस स्टेज में सामने आते हैं, जिससे इलाज और भी मुश्किल हो जाता है। लेकिन एक अच्छी खबर यह है कि अगर समय पर इसके लक्षणों को पहचान लिया जाए और सही कदम उठाए जाएं, तो इसका सफल इलाज संभव है।
क्या है ब्रेस्ट कैंसर?
ब्रेस्ट कैंसर तब होता है जब स्तन में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और एक ट्यूमर (गांठ) का निर्माण करती हैं। यह ट्यूमर घातक (कैंसरयुक्त) हो सकता है और शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। आमतौर पर यह दूध बनाने वाली नलिकाओं (Ducts) या ग्रंथियों (Lobules) में शुरू होता है। पुरुषों को भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है, लेकिन महिलाओं में इसका खतरा कहीं ज्यादा होता है।
ब्रेस्ट कैंसर के 7 प्रमुख लक्षण जिन्हें नजरअंदाज न करें
शुरुआती चरण में ब्रेस्ट कैंसर के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते, लेकिन जैसे-जैसे ट्यूमर बढ़ता है, कुछ बदलाव महसूस किए जा सकते हैं। इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:
- स्तन या बगल में गांठ: स्तन या कांख (बगल) में किसी भी तरह की नई गांठ या मोटापन महसूस होना, जिसमें दर्द हो भी सकता है और नहीं भी।
- स्तन के आकार या बनावट में बदलाव: किसी एक स्तन का आकार या शेप अचानक बदल जाना या दोनों स्तनों में कोई स्पष्ट अंतर दिखाई देना।
- निप्पल में बदलाव: निप्पल का अंदर की ओर धंस जाना (Inverted Nipple), निप्पल की त्वचा पर पपड़ी जमना या लाल होना।
- निप्पल से स्राव: स्तनपान न कराने की स्थिति में भी निप्पल से दूध के अलावा किसी अन्य तरल पदार्थ (जैसे खून या पानी) का निकलना।
- त्वचा में परिवर्तन: स्तन की त्वचा का संतरे के छिलके की तरह मोटा या गड्ढेदार हो जाना, त्वचा पर जलन या लालिमा दिखना।
- लगातार दर्द: स्तन के किसी एक हिस्से में लगातार दर्द बना रहना जो मासिक धर्म से संबंधित न हो।
- सूजन: पूरे स्तन या उसके किसी हिस्से में सूजन आ जाना।
ब्रेस्ट कैंसर के मुख्य कारण और जोखिम कारक
हालांकि ब्रेस्ट कैंसर का कोई एक सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन कई कारक इसके खतरे को बढ़ा सकते हैं। इन जोखिम कारकों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है: जिन्हें नियंत्रित नहीं किया जा सकता और जिन्हें जीवनशैली में बदलाव करके नियंत्रित किया जा सकता है।
स्तन कैंसर के जोखिम कारक (Breast Cancer Risk Factors)
जोखिम के प्रकार | कारक (Factor) | विवरण |
अनियंत्रित कारक | लिंग | महिला होना सबसे बड़ा जोखिम कारक है। |
उम्र | 50 वर्ष की आयु के बाद खतरा काफी बढ़ जाता है। | |
पारिवारिक इतिहास | माँ, बहन या बेटी को ब्रेस्ट कैंसर होने पर खतरा दोगुना हो जाता है। | |
आनुवंशिक कारक | BRCA1 और BRCA2 जैसे जीन में बदलाव (म्यूटेशन)। | |
मासिक धर्म चक्र | 12 साल से पहले मासिक धर्म शुरू होना और 55 साल के बाद मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) होना। | |
नियंत्रित (जीवनशैली से जुड़े) कारक | मोटापा | खासकर मेनोपॉज के बाद वजन बढ़ना। |
शराब और धूम्रपान | इनका सेवन करने से खतरा बढ़ता है। | |
शारीरिक निष्क्रियता | नियमित व्यायाम न करना या गतिहीन जीवनशैली। | |
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) | लंबे समय तक इसका उपयोग करना। | |
खराब आहार | प्रोसेस्ड फूड, रेड मीट और अस्वास्थ्यकर वसा (Unhealthy Fats) का अधिक सेवन। | |
देर से गर्भधारण/संतान न होना | 30 साल की उम्र के बाद पहला बच्चा होना या संतान न होना। |
रोकथाम और शुरुआती पहचान ही सबसे बड़ा बचाव है