चीन ने भारत को WTO में घसीटा: EV और बैटरी सब्सिडी पर की शिकायत

डेस्क: पड़ोसी चीन ने भारत को एक और झटका दिया है। अमेरिकी हाई टैरिफ के बाद अब ड्रैगन ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत की इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) और बैटरी सब्सिडी योजनाओं पर शिकायत दर्ज कराई है। चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने 15 अक्टूबर 2025 को WTO में परामर्श की मांग की, जिसमें उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना, उन्नत रसायन सेल (ACC) बैटरी भंडारण कार्यक्रम, ऑटोमोबाइल PLI योजना और EV विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली नीतियों को ‘अनफेयर कॉम्पिटिटिव एडवांटेज’ बताया। चीन का दावा है कि ये योजनाएं WTO के राष्ट्रीय उपचार सिद्धांत का उल्लंघन करती हैं और आयात प्रतिस्थापन सब्सिडी के रूप में काम करती हैं, जो बहुपक्षीय व्यापार नियमों में स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित हैं। भारत सरकार ने कहा कि वह शिकायत की जांच करेगी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह EV क्षेत्र में भारत की स्वदेशी नीति को चुनौती देगा।
चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि भारत की ये योजनाएं घरेलू उत्पादों को आयातित वस्तुओं (खासकर चीनी) पर प्राथमिकता देती हैं, जो SCM (सब्सिडी और प्रतिपूरक उपाय) समझौता, GATT 1994 और TRIMs समझौते का उल्लंघन है। PLI योजना में 2020 से शुरू हुई यह प्रोत्साहन 14 क्षेत्रों में लागू है, जिसमें EV और बैटरी शामिल हैं। सरकार ने ₹2,000 करोड़ का PM E-DRIVE स्कीम लॉन्च किया, जो चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर 80-100% सब्सिडी देता है। ACC बैटरी प्रोग्राम में 50 GWh क्षमता के लिए ₹18,100 करोड़ का निवेश है। चीन का तर्क है कि ये कदम चीनी EV कंपनियों (जैसे BYD, CATL) को भारत में घुसने से रोकते हैं, जहां EV बाजार 2025 में 10 लाख यूनिट्स का अनुमान है।
WTO के नियमों के तहत पहला चरण परामर्श है, जहां दोनों पक्ष 60 दिनों में समाधान तलाशेंगे। यदि असफल रहा, तो चीन पैनल का अनुरोध कर सकता है, जो तीन विशेषज्ञों की समिति बनेगी। भारत के वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा, “हम शिकायत का अध्ययन करेंगे।” भारत ने पहले भी चीन की सब्सिडी पर शिकायत की है, लेकिन यह पहली बार है जब चीन ने EV पर सीधा निशाना साधा।
व्यापार घाटा और EV बाजार: चीन का निर्यात 51% बढ़ा, भारत में EV बूम
चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, लेकिन FY24-25 में निर्यात 14.5% घटकर $14.25 बिलियन रह गया, जबकि आयात 11.52% बढ़कर $113.45 बिलियन हो गया। व्यापार घाटा $99.2 बिलियन पहुंच गया। चीन के EV निर्यात 2025 के पहले 8 महीनों में 51% बढ़े, लेकिन EU के 27% टैरिफ से दबाव है। भारत का EV बाजार 2025 में $5 बिलियन का होने का अनुमान है, जहां PLI ने टाटा, महिंद्रा और ओला को मजबूत किया। चीन BYD और CATL जैसे ब्रांड्स के साथ भारत में घुसना चाहता है, लेकिन लोकलाइजेशन शर्तें बाधा बनीं।
भारत सरकार ने कहा कि EV सब्सिडी आत्मनिर्भर भारत का हिस्सा हैं, जो स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देती हैं। यदि WTO पैनल बना, तो भारत को सब्सिडी संशोधित करनी पड़ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह चीन की EV डोमिनेंस (वैश्विक 60% बैटरी उत्पादन) को चुनौती देता है। भारत ने हाल ही में रेयर अर्थ मैग्नेट उत्पादन के लिए नई सब्सिडी शुरू की, जो चीन के एक्सपोर्ट कंट्रोल्स का जवाब है।
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