Trendingमनोरंजन-सिनेमाराजनीति

‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर हाईकोर्ट की रोक, कन्हैयालाल की कहानी पर विवाद फिर गरमाया

राजस्थान के दर्जी कन्हैयालाल की हत्या पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। यह फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होनी थी, लेकिन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की याचिका पर कोर्ट ने रोक का आदेश दिया। इस याचिका में जमीयत की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पैरवी की, जिनका राजनीति में कांग्रेस और अब समाजवादी पार्टी से जुड़ाव रहा है।

याचिका में दलील दी गई कि फिल्म का ट्रेलर धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकता है और इससे सांप्रदायिक तनाव फैलने की आशंका है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से सात दिन में जवाब मांगा है। अब केंद्र तय करेगा कि फिल्म को रिलीज की इजाजत दी जाए या नहीं।

इस बीच फिल्म के निर्माता अमित जानी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की बात कही है। उनका कहना है कि फिल्म सिर्फ कन्हैयालाल की सच्ची कहानी को सामने लाने की कोशिश है और इसमें कोई गलत मंशा नहीं है।

क्या थी कन्हैयालाल की कहानी?

28 जून 2022 को उदयपुर के दर्जी कन्हैयालाल की दुकान में दो युवकों ने नृशंस तरीके से उनकी हत्या कर दी थी। आरोपी मोहम्मद रियाज़ अत्तारी और गौस मोहम्मद ने कपड़े सिलवाने के बहाने दुकान में घुसकर हत्या की, और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। उनका दावा था कि यह हत्या बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिए बयान के समर्थन में कन्हैयालाल द्वारा की गई पोस्ट के विरोध में की गई है। हालांकि जांच में सामने आया कि वह पोस्ट गलती से उनके बेटे ने फॉरवर्ड कर दी थी।

फिल्म से किसे आपत्ति है और क्यों?

फिल्म को लेकर आपत्ति जताने वालों का कहना है कि यह धार्मिक भावना भड़काने का जरिया बन सकती है। वहीं फिल्म के समर्थकों का सवाल है कि यदि कन्हैयालाल की हत्या सार्वजनिक थी, वीडियो उपलब्ध हैं और मामला कोर्ट में है, तो उनकी कहानी बताने वाली फिल्म से किसे डर है?

जमीयत उलमा-ए-हिंद और विवाद

इस केस में याचिका दाखिल करने वाली जमीयत उलमा-ए-हिंद पहले भी आतंकवाद से जुड़े मामलों में आरोपियों को कानूनी सहायता देती रही है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जमीयत ने मालेगांव ब्लास्ट, 26/11 आतंकी हमला, और 7/11 मुंबई धमाकों जैसे मामलों में 700 से अधिक आरोपियों की पैरवी की है।

राजनीतिक चुप्पी और जनता का सवाल

फिल्म की रिलीज पर रोक को लेकर राजनीतिक दलों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। सोशल मीडिया पर कई लोग पूछ रहे हैं कि जब बात विचारों की स्वतंत्रता की आती है, तो हमेशा शोर मचाने वाले अब चुप क्यों हैं?

कन्हैयालाल के परिवार का कहना है कि उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला, लेकिन उनके जीवन पर बनी फिल्म को महज 3 दिन में बैन कर दिया गया। फिल्म की रिलीज पर रोक से एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में है और अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के फैसले पर टिकी हैं।

ये भी पढ़ें: Bihar Election: जीतन राम मांझी बोले- मेरे घर और ऑफिस का दरवाजा हमेशा खुला है, चुनाव से पहले बिहार में हुई सियासत गर्म

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!