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ये तीनों विटामिन B-कॉम्प्लेक्स परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य हैं-दिमाग की सेहत
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देते हैं। खासकर दिमाग की सेहत, जो हमारे जीवन का केंद्र बिंदु है। क्या आप जानते हैं कि कुछ बुनियादी विटामिन्स की कमी से आपका दिमाग धीरे-धीरे कमजोर हो सकता है?
वाराणसी: याददाश्त कमजोर पड़ सकती है, एकाग्रता भंग हो सकती है और यहां तक कि डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी जन्म ले सकती हैं। हम बात कर रहे हैं विटामिन B6, B9 (फोलिक एसिड) और B12 की। ये तीनों विटामिन B-कॉम्प्लेक्स परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जो तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क के कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी कमी न केवल शारीरिक थकान पैदा करती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी गहरा नुकसान पहुंचाती है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि ये विटामिन कैसे काम करते हैं, उनकी कमी के लक्षण क्या हैं, कारण क्या हैं और इन्हें कैसे पूरा किया जाए।
विटामिन B6: दिमाग का ‘एनर्जी बूस्टर’
विटामिन B6, जिसे पाइरिडॉक्सिन भी कहा जाता है, मस्तिष्क के लिए एक तरह का ईंधन है। यह न्यूरोट्रांसमीटर जैसे सेरोटोनिन, डोपामाइन और GABA के उत्पादन में मदद करता है। ये रसायन मूड को संतुलित रखते हैं, तनाव कम करते हैं और नींद को नियंत्रित करते हैं। B6 की कमी से होमोसिस्टीन नामक अम्ल का स्तर बढ़ जाता है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
कमी के लक्षण: शुरुआत में चिड़चिड़ापन, अवसाद और एकाग्रता की कमी महसूस होती है। धीरे-धीरे याददाश्त कमजोर पड़ने लगती है। अध्ययनों के अनुसार, B6 की कमी वाले लोगों में अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा 2-3 गुना बढ़ जाता है। महिलाओं में PMS (प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम) के लक्षण भी बिगड़ जाते हैं, जो मानसिक तनाव को और बढ़ाते हैं। शारीरिक स्तर पर एनीमिया, त्वचा पर चकत्ते और मांसपेशियों में कमजोरी दिखाई देती है।
कारण: असंतुलित आहार, शाकाहारी भोजन में कमी, किडनी की समस्याएं या कुछ दवाओं का सेवन। भारत जैसे देश में, जहां चावल-रोटी प्रधान भोजन है, B6 की कमी आम है।
स्रोत: केला, आलू, चने, मांस, मछली और सूरजमुखी के बीज। एक केले में रोजाना जरूरी 1.3-1.7 मिलीग्राम B6 मिल जाता है। सप्लीमेंट्स डॉक्टर की सलाह से लें।
B6 की कमी को नजरअंदाज करने से दिमाग की कोशिकाएं ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का शिकार हो जाती हैं, जिससे लंबे समय में डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है। इसलिए, रोजाना फल-सब्जियां शामिल करें।
विटामिन B9 (फोलिक एसिड):
याददाश्त का संरक्षकविटामिन B9, यानी फोलिक एसिड, डीएनए संश्लेषण और रेड ब्लड सेल्स के निर्माण के लिए आवश्यक है। मस्तिष्क के संदर्भ में, यह होमोसिस्टीन को नियंत्रित करता है और न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स को रोकता है। गर्भावस्था में तो यह अनिवार्य है, लेकिन वयस्कों में भी यह संज्ञानात्मक कार्यों (कॉग्निटिव फंक्शन्स) को मजबूत बनाता है। कमी से मस्तिष्क में सूजन बढ़ती है, जो याददाश्त को प्रभावित करती है।
कमी के लक्षण: भूलने की आदत, कन्फ्यूजन, थकान और यहां तक कि हल्का डिप्रेशन। बुजुर्गों में B9 की कमी से डिमेंशिया के लक्षण तेजी से उभरते हैं। एक रिसर्च में पाया गया कि B9 की कमी वाले 40% लोगों में शॉर्ट-टर्म मेमोरी लॉस होता है। शारीरिक रूप से, मुंह में छाले, बाल झड़ना और एनीमिया प्रमुख हैं।
कारण: गर्भावस्था, शराब का सेवन, क्रोहन डिजीज या आनुवंशिक कारक। भारत में, अनाजों को फोर्टिफाई न करने से यह कमी व्यापक है।
स्रोत: हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकोली, संतरा, दालें और फोर्टिफाइड अनाज। 400 माइक्रोग्राम रोजाना पर्याप्त है। गर्भवती महिलाओं को 600 माइक्रोग्राम की जरूरत।फोलिक एसिड की कमी को समय पर पकड़ना जरूरी है, क्योंकि यह उलट-पुलट हो सकती है। हेल्दी डाइट से इसे आसानी से रोका जा सकता है।
विटामिन B12: तंत्रिकाओं का रक्षक
विटामिन B12, या कोबालामिन, माइलिन शीथ के निर्माण में भूमिका निभाता है, जो तंत्रिकाओं को इंसुलेट करता है। यह रेड ब्लड सेल्स बनाता है और होमोसिस्टीन को कम रखता है। कमी से तंत्रिका क्षति होती है, जो दिमाग को सीधे प्रभावित करती है।
कमी के लक्षण: याददाश्त हानि, सुन्नता हाथ-पैरों में, बैलेंस की समस्या और गंभीर मामलों में परमानेंट ब्रेन डैमेज। वेजिटेरियन लोगों में B12 की कमी से ‘वेजिटेरियन डिमेंशिया’ जैसी स्थिति बन सकती है। लक्षण धीमे-धीमे बढ़ते हैं, इसलिए अक्सर नजरअंदाज हो जाते हैं।
कारण: शाकाहारी आहार (B12 मुख्यतः एनिमल प्रोडक्ट्स में), पर्निशियस एनीमिया, गैस्ट्राइटिस या उम्र बढ़ना। भारत में 70% वेजिटेरियंस को B12 की कमी है।
स्त्रोत: अंडा, दूध, चीज, मांस, मछली। वेजिटेरियंस के लिए फोर्टिफाइड दूध या सप्लीमेंट्स। 2.4 माइक्रोग्राम रोजाना जरूरी।B12 की कमी को ब्लड टेस्ट से चेक करें। इंजेक्शन या टैबलेट से इसे ठीक किया जा सकता है,
इन विटामिन्स की कमी के सामान्य प्रभाव: दिमाग पर हमला
ये तीनों विटामिन एक-दूसरे से जुड़े हैं। B6, B9 और B12 मिलकर होमोसिस्टीन को मेटाबोलाइज करते हैं। कमी से होमोसिस्टीन बढ़ता है, जो मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ता है और ऑक्सीजन सप्लाई कम करता है। नतीजा? क्रॉनिक थकान, मूड स्विंग्स, नींद न आना और याददाश्त का लोप। लंबे समय में, यह अल्जाइमर, पार्किंसन या स्ट्रोक का जोखिम बढ़ाता है।भारतीय संदर्भ में, मल्ट्रीविटामिन की कमी वाले 50% युवाओं में कॉग्निटिव इश्यूज पाए जाते हैं। महिलाओं में हार्मोनल चेंजेस से यह और बिगड़ जाता है।
कारण और जोखिम कारक: क्यों हो रही है यह कमी?
आधुनिक लाइफस्टाइल दोषी है। प्रोसेस्ड फूड, फास्टिंग, स्ट्रेस और प्रदूषण इन विटामिन्स के अवशोषण को रोकते हैं। शाकाहार बढ़ने से B12 की समस्या आम। बुजुर्गों में पाचन कमजोर होने से कमी। जेनेटिक फैक्टर भी भूमिका निभाते हैं।
बचाव और उपचार: स्वस्थ दिमाग के लिए टिप्स
आहार: संतुलित डाइट लें। रोजाना हरी सब्जियां, फल, दालें, अंडे और डेयरी शामिल करें।
सप्लीमेंट्स: डॉक्टर से सलाह लें। B-कॉम्प्लेक्स टैबलेट्स प्रभावी।
लाइफस्टाइल: योग, मेडिटेशन से तनाव कम करें। रेगुलर चेकअप करवाएं।
विशेष सलाह: वेजिटेरियंस B12 सप्लीमेंट लें। गर्भवती महिलाएं फोलिक एसिड पर फोकस करें।इन छोटे बदलावों से आपका दिमाग तेज रहेगा। याद रखें, सेहत निवेश है।
निष्कर्ष:
विटामिन B6, B9 और B12 की कमी कोई छोटी समस्या नहीं। यह चुपके से दिमाग को खोखला कर देती है। आज ही अपने आहार की समीक्षा करें, ब्लड टेस्ट करवाएं और हेल्दी हैबिट्स अपनाएं। एक स्वस्थ दिमाग ही सफल जीवन की कुंजी है। यदि लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। स्वस्थ रहें, स्मार्ट रहें!



