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Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के बीच सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला, निर्माण कार्यों पर रोक से किया इनकार

कोर्ट ने कहा- हर साल प्रदूषण संभालने की जिम्मेदारी अदालत की नहीं; हर साल के बजाय दीर्घकालिक उपाय पर फोकस करें।

Delhi Pollution: दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में हवा का हाल बहुत बुरा हो गया है। एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से ऊपर चला गया है, जो सांस लेना मुश्किल बना रहा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया। कोर्ट ने सभी निर्माण कार्यों को रोकने के सुझाव को नकार दिया। कोर्ट का कहना है कि इससे लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा। लेकिन कोर्ट ने सरकार को दीर्घकालिक उपाय सोचने का निर्देश दिया है। यह फैसला उन लोगों के लिए राहत है जो निर्माण में काम करते हैं, लेकिन प्रदूषण से जूझ रहे शहरवासियों के लिए चिंता की बात है।

कोर्ट की सुनवाई: हर साल प्रदूषण का बोझ नहीं उठा सकते

सुप्रीम कोर्ट ने 17 नवंबर को इस मामले की सुनवाई की। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने साफ कहा कि अदालत हर साल दिल्ली के प्रदूषण को संभालने की जिम्मेदारी नहीं ले सकती। मूल जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। कोर्ट ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा और विकास के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। सीजेआई ने कहा, “इस तरह के कदम उठाने की बजाय हमें दीर्घकालिक समाधान के बारे में सोचना होगा।” कोर्ट ने यह भी माना कि निर्माण रोकना आसान लगता है, लेकिन इससे बड़ी संख्या में मजदूर और परिवार प्रभावित होंगे।

फैसले के पीछे कारण: आर्थिक नुकसान से बचाव

कोर्ट ने निर्माण पर पूरी रोक लगाने से मना कर दिया क्योंकि इससे गंभीर सामाजिक और आर्थिक परेशानी हो सकती है। लाखों लोग जो निर्माण में काम करते हैं, उनकी कमाई रुक जाएगी। कोर्ट ने कहा कि अदालत विशेषज्ञों की जगह नहीं ले सकती। कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) को प्रदूषण के स्तर के हिसाब से कदम उठाने चाहिए। कोर्ट का मानना है कि सिर्फ निर्माण रोकना समस्या का हल नहीं। बल्कि, फसल जलाने, वाहनों की संख्या और फैक्टरियों से निकलने वाले धुएं पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

आगे के कदम: केंद्र सरकार को एक दिन में बैठक बुलाने का आदेश

कोर्ट ने केंद्र सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। सरकार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करनी होगी। इस बैठक में वायु प्रदूषण के लिए लंबे समय के समाधान पर बात होनी है। कोर्ट ने एक दिन का समय दिया है। साथ ही, 19 नवंबर को अगली सुनवाई में हलफनामा मांगा है। इसमें दिल्ली के प्रदूषण नापने वाले उपकरणों की सही जांच होगी। कोर्ट ने कहा, “केंद्र सरकार को करना होगा नेतृत्व।” विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला प्रदूषण कम करने के लिए नई दिशा दे सकता है।

दिल्ली के लोग अब सरकार की ओर उम्मीद से देख रहे हैं। अगर लंबे उपाय नहीं हुए तो सर्दियों में प्रदूषण और बढ़ेगा। आम आदमी को मास्क लगाकर रहना पड़ रहा है। उम्मीद है कि कोर्ट के आदेश से हवा साफ होगी।

Sanjna Gupta
Author: Sanjna Gupta

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