मिट्टी सिर्फ अन्न नहीं उगाती, यह जीवन का आधार
स्मार्ट खेत, सशक्त हाथ – कृषि का नया भारत !
डेस्क: डिजिटल कृषि भारतीय खेती में क्रांति ला रही है, जिससे दक्षता, उत्पादकता और स्थिरता बढ़ रही है। डिजिटल कृषि मिशन, एग्री-स्टैक और कृषि निर्णय सहायता प्रणाली जैसी पहल किसानों को वास्तविक समय के डेटा , विशेषज्ञ सलाह एवं प्रत्यक्ष लाभ के साथ सशक्त बनाती हैं।
कृषि का बदलता स्वरूप क्या है?
भारत की मिट्टी सिर्फ अन्न नहीं उगाती, यह जीवन का आधार है। लेकिन अब यह आधार एक नई दिशा की तरफ बढ़ रहा है |
जहाँ हल के साथ-साथ डेटा, डिजिटल पहचान और सतत तकनीक भी काम कर रही है।
हाल ही में केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में ₹35,440 करोड़ की दो बड़ी योजनाएँ शुरू की हैं।
साथ ही उत्तर प्रदेश में Agristack योजना के तहत किसानों को डिजिटल किसान पहचान कार्ड मिलना शुरू हुआ है।इसी के साथ, Indian Agricultural Research Institute (IARI) और Patanjali Organics ने”स्वस्थ धारा (Swasth Dhara)” नामक अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य मिट्टी की सेहत सुधारना और रासायनिक निर्भरता घटाना है।
दूसरी ओर, देश के कुछ हिस्सों में असमय बारिश और तूफानों ने फसलें नष्ट कर दी और इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि पारंपरिक खेती अब अकेले नहीं चल सकती -उसे तकनीक, सूचना और नीति-सहयोग की जरूरत है।
कृषि का यह नया युग “धरती से डेटा तक की यात्रा करने को तैयार है |जहाँ हर खेत का नक्शा, हर किसान की पहचान और हर फसल की कहानी डिजिटल होगी और तकनीकों की मदद से आसान हो जाएगी।
बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी?
बदलाव इसलिए ज़रूरी है क्योंकि पुराने तरीके अब नई समस्याओं का हल नहीं दे पा रहे हैं। भारत की लगभग 55% आबादी खेती पर निर्भर है, लेकिनकृषि अब कई चुनौतियों का सामना कर रही है- जिसमें जलवायु परिवर्तन से मौसम की अनिश्चितता बढ़ी है.मिट्टी की गुणवत्ता घट रही है,और बाजार में असंतुलन ने किसानों की आमदनी को प्रभावित किया है।
2024 में आए कई प्राकृतिक झटकों ने बताया है कि कृषि व्यवस्था को सिर्फ मेहनत की नहीं, प्रणाली की भी जरूरत है।
. नई दिशा के लाभ क्या होंगे?
भारतीय कृषि क्षेत्र को आधुनिक तकनीकों और उपकरणों से सशक्त बनाया जा रहा है जो फसल उत्पादन को अधिकतम करने में मदद कर सकते हैं।इन दिनों भारतीय किसानों को उन्नत कृषि उपकरणों और तकनीकों तक पहुँच मिल रही है।
- किसान को सशक्त पहचान और पारदर्शिता मिलेगी |
- नई फसलें/जैविक खेती : पारंपरिक फसल उत्पादन पद्धति का वर्तमान प्रचलन प्राकृतिक संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
- बाज़ार: भारत में कृषि व्यवसाय बाज़ार तेज़ी से बढ़ रहे हैं। कई सरकारी और निजी प्लेटफ़ॉर्म किसानों को अपनी उपज सीधे अंतिम उपयोगकर्ता को बेचने में मदद कर रहे हैं।
भारत सरकार कृषि को आय का प्राथमिक स्रोत बनाने वाले लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए कई पहल शुरू कर रही है। इनमें से कुछ पहल इस प्रकार हैं:
1-राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए): इस मिशन को बढ़ावा देने के लिए, यह स्थान-विशिष्ट टिकाऊ और सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है।
2-प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई): अत्यधिक मौसम की स्थिति जैसे सूखा, बाढ़ और ओलावृष्टि हर साल किसानों की फसलों को आर्थिक नुकसान पहुँचाती है। इसलिए, उन्हें इन दुष्प्रभावों से बचाने के लिए यह योजना शुरू की गई है।
3-प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई): यह स्रोत निर्माण, वितरण, प्रबंधन, क्षेत्र अनुप्रयोग और विस्तार गतिविधियों पर केंद्रित है।
4-ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम): मौजूदा कृषि मंडियों को कृषि वस्तुओं के व्यापार के लिए एक साझा ऑनलाइन बाजार मंच से जोड़ने के लिए अब तक, ई-नाम 18 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों की लगभग 1,000 मंडियों को जोड़ चुका है।
5-किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी): किसानों को उनके कृषि व्यय के लिए समय पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए है।
निष्कर्ष:भारत में कृषि एक बड़ी आबादी के लिए आजीविका का प्रमुख स्रोत है और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में इसका प्रमुख योगदान है।अनेक चुनौतियों के बावजूद, भारतीय कृषि निरंतर प्रगति कर रही है। भारत नई तकनीक के उपयोग और उसे नियमित व्यवहार में अपनाने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है और भविष्य में यह भारतीय कृषि की तस्वीर बदल देगा।



