FATF की सख्त चेतावनी: पाकिस्तान पर फिर मंडरा रहा ग्रे लिस्ट का खतरा

वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था FATF (Financial Action Task Force) ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है कि वह आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाए। FATF की अध्यक्ष एलिसा डे एंडा मद्राजो ने कहा कि किसी देश का ग्रे लिस्ट से हटना यह गारंटी नहीं देता कि वह आतंक या अपराध से पूरी तरह मुक्त हो गया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान FATF का सदस्य नहीं है, इसलिए उसकी निगरानी एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG) कर रहा है। संस्था ने कहा कि पाकिस्तान पर अब भी नजर रखी जा रही है और उसे टेरर फंडिंग रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
डिजिटल वॉलेट्स से चल रही आतंकी फंडिंग
हाल में कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) डिजिटल वॉलेट्स और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिए फंड इकट्ठा कर रहे हैं। इन पैसों का इस्तेमाल आतंकी कैंपों के संचालन और हथियारों की खरीद में किया जा रहा है, जिससे वित्तीय लेनदेन को ट्रैक करना मुश्किल हो गया है।
भारत की नेशनल रिस्क असेसमेंट रिपोर्ट 2022 में पाकिस्तान को आतंक वित्तपोषण का “हाई रिस्क सोर्स” बताया गया है। भारत समर्थित एक अध्ययन रिपोर्ट ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान का नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स (NDC) अब भी प्रोलिफरेशन फाइनेंसिंग यानी हथियार निर्माण के लिए अवैध फंडिंग में शामिल है।
FATF की चेतावनी का असर
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पाकिस्तान ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो वह दोबारा ग्रे लिस्ट या ब्लैक लिस्ट में जा सकता है। ऐसा होने पर उसकी अर्थव्यवस्था, विदेशी निवेश और अंतरराष्ट्रीय कर्ज प्रणाली पर गंभीर असर पड़ेगा। 2018 से 2022 के बीच ग्रे लिस्ट में रहने के दौरान पाकिस्तान को आर्थिक संकट और डॉलर की भारी कमी का सामना करना पड़ा था।
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FATF की यह चेतावनी केवल पाकिस्तान के लिए नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए अहम है। पाकिस्तान के आतंक नेटवर्क की जड़ें कई देशों तक फैली हैं, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है। यदि टेरर फंडिंग पर अंकुश नहीं लगा, तो इसका असर पूरे उपमहाद्वीप पर पड़ेगा।



