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लिवर में फैट जमना आज की सबसे आम स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है।

लिवर में फैट जमना आज की सबसे आम स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। लेकिन शरीर दर्द और थकान के ज़रिए पहले ही चेतावनी दे देता है — बस ज़रूरत है उसे पहचानने की।

डेस्क: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी, अनियमित खानपान और तनाव ने फैटी लिवर को एक आम लेकिन खतरनाक बीमारी बना दिया है। शुरुआत में इसके लक्षण इतने हल्के होते हैं कि लोग इन्हें सामान्य दर्द या कमजोरी समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन जब तक व्यक्ति सावधान होता है, तब तक लिवर की कोशिकाएं नुकसान झेल चुकी होती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में करीब 30% से ज्यादा वयस्क आबादी फैटी लिवर की शुरुआती या बढ़ी हुई अवस्था से पीड़ित है — और हैरानी की बात यह है कि अधिकतर लोगों को इसका पता भी नहीं चलता।

सबसे पहले समझें — क्या है फैटी लिवर?

फैटी लिवर का मतलब है लिवर की कोशिकाओं में वसा (fat) का जमना। सामान्य रूप से थोड़ी मात्रा में फैट रहना सामान्य है, लेकिन जब यह 5–10% से अधिक हो जाए, तो यह लिवर की कार्यक्षमता को प्रभावित करने लगता है। अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह स्थिति “फैटी लिवर ग्रेड 1” से बढ़कर ग्रेड 3 तक पहुंच सकती है, जो लिवर सिरोसिस या फेलियर तक का रूप ले सकती है।

शरीर के किन हिस्सों में होता है दर्द — जो देते हैं फैटी लिवर का संकेत?

दाईं पसलियों के नीचे भारीपन या दर्द

यह फैटी लिवर का सबसे प्रमुख लक्षण है। दाईं ओर ऊपर पेट के हिस्से में हल्का या लगातार दर्द महसूस होना संकेत देता है कि लिवर पर फैट का दबाव बढ़ रहा है।

पीठ और कंधे के पास दर्द

लिवर की सूजन के कारण शरीर के नसों पर असर पड़ता है। इससे पीठ के ऊपरी हिस्से या दाहिने कंधे में खिंचाव या दर्द हो सकता है।

पेट के बीच या ऊपरी हिस्से में जलन और गैस

लिवर के काम धीमे पड़ने से पाचन गड़बड़ होने लगता है। इस वजह से पेट में भारीपन, जलन या मितली महसूस होती है।

गर्दन और ऊपरी पीठ में अकड़न

जब लिवर का फैट मेटाबॉलिज्म बिगड़ जाता है, तो मांसपेशियों पर असर पड़ता है। इससे गर्दन और पीठ के ऊपरी हिस्से में अकड़न या जकड़न महसूस हो सकती है।

थकान और शरीर में कमजोरी

लिवर शरीर की डिटॉक्स फैक्ट्री है। जब यह सुस्त पड़ जाता है तो एनर्जी प्रोडक्शन कम होने लगता है, जिससे लगातार थकान, नींद की कमी और शरीर टूटने जैसा एहसास होता है।

किन वजहों से होता है फैटी लिवर?

  • अत्यधिक तेल-मसाले वाला भोजन
  • शराब का सेवन (Alcoholic Fatty Liver)
  • मीठे पेय और जंक फूड
  • शारीरिक गतिविधि की कमी
  • डायबिटीज़ और मोटापा
  • लंबे समय तक कुछ दवाओं का सेवन

कैसे करें पहचान?

फैटी लिवर का पता अल्ट्रासाउंड, LFT (Liver Function Test) या फाइब्रोस्कैन से लगाया जा सकता है। लेकिन डॉक्टर कहते हैं, अगर ऊपर बताए लक्षण लगातार बने रहें — तो तुरंत जांच करवाना ज़रूरी है।

घरेलू उपाय और जीवनशैली में बदलाव

  1. सुबह खाली पेट नींबू पानी या गुनगुना पानी पिएं – इससे शरीर से टॉक्सिन निकलते हैं।
  2. डाइट में शामिल करें – हरी सब्जियां, ओट्स, दालें, फल और ग्रीन टी।
  3. तेल और मीठा कम करें – खासकर तला हुआ और पैक्ड फूड।
  4. रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज करें – वॉकिंग, योग या साइक्लिंग लिवर फैट घटाने में मदद करते हैं।
  5. तनाव कम करें और नींद पूरी लें – क्योंकि स्ट्रेस हार्मोन लिवर पर नकारात्मक असर डालते हैं।

कब लें डॉक्टर की सलाह:

  • अगर पेट या दाईं पसलियों में लगातार दर्द रहे
  • आंखें या त्वचा पीली पड़ने लगे (जॉन्डिस के लक्षण)
  • वजन तेजी से घटने लगे
  • थकान, नींद की कमी और भूख न लगना जैसी समस्याएं बढ़ जाएं

निष्कर्ष:

फैटी लिवर एक “साइलेंट खतरा” है जो धीरे-धीरे शरीर की सेहत को खोखला कर देता है। शुरुआत में यह सिर्फ हल्के दर्द या थकान के रूप में सामने आता है, लेकिन अगर इन संकेतों को अनदेखा किया गया, तो यह लिवर फेलियर जैसी गंभीर स्थिति में बदल सकता है। इसलिए, शरीर के इन छोटे-छोटे दर्दों को सामान्य न समझें, बल्कि वक्त रहते डॉक्टर से जांच करवाएं और अपनी जीवनशैली में सुधार लाएं — ताकि आपका लिवर लंबे समय तक स्वस्थ और सक्रिय बना रहे।

PRAGATI DIXIT
Author: PRAGATI DIXIT

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