Health News: डिप्रेशन का कारण हो सकती हैं आपकी रोजमर्रा की आदतें, जानें कैसे
नींद की कमी, तनाव और ज्यादा स्क्रीन टाइम दिमाग को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जानें बचाव के तरीके।

Health News: भागदौड़ भरी जिंदगी में हम कई छोटी-छोटी आदतों को नजरअंदाज कर देते हैं, जो धीरे-धीरे हमारे दिमाग की सेहत को खराब कर रही हैं। नींद की कमी, लगातार तनाव और ज्यादा स्क्रीन टाइम जैसी आम समस्याएं मस्तिष्क को कमजोर बना रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये आदतें याददाश्त कमजोर करती हैं, एकाग्रता भटकाती हैं और लंबे समय में डिप्रेशन या अल्जाइमर जैसी बीमारियां न्योता देती हैं। एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि 70% युवा इन आदतों से प्रभावित हैं। आइए जानते हैं इनके नुकसान और बचाव के आसान तरीके।
नींद की कमी, याददाश्त पर असर
रोजाना 7-8 घंटे की नींद न लेना दिमाग के लिए जहर के समान है। नींद के दौरान मस्तिष्क पुरानी यादों को संग्रहित करता है और टॉक्सिन्स को साफ करता है। अगर नींद टूटती है, तो हिप्पोकैंपस (याददाश्त का केंद्र) कमजोर पड़ जाता है। एक न्यूरोलॉजिस्ट कहते हैं, नींद की कमी से कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जो नई सीखने की क्षमता को 30% तक घटा देता है। परिणामस्वरूप, भूलने की बीमारी, चिड़चिड़ापन और थकान बढ़ जाती है। एक सर्वे में पाया गया कि 40% लोग रात में 5 घंटे से कम सोते हैं, जिससे उनके दिमाग की उम्र 5 साल बढ़ जाती है।
तनाव दिमाग पर गहरा असर डालता है
कार्यस्थल का दबाव या पारिवारिक झगड़े से पैदा होने वाला तनाव दिमाग पर गहरा असर डालता है। लगातार तनाव से ब्रेन में ग्लूटामेट नामक रसायन बढ़ जाता है, जो न्यूरॉन्स (मस्तिष्क कोशिकाओं) को नुकसान पहुंचाता है। इससे अमिग्डाला (भावनाओं का केंद्र) अतिसक्रिय हो जाता है, जिससे चिंता और डर बढ़ता है। मनोचिकित्सक ने बताया – क्रॉनिक स्ट्रेस से हिप्पोकैंपस सिकुड़ जाता है, जो याददाश्त और निर्णय लेने की क्षमता को 25% कम कर देता है।
स्क्रीन की नीली रोशनी से दिमाग थकता है
मोबाइल और टीवी की ज्यादा स्क्रीनिंग दिमाग को थका देती है। नीली रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन (नींद का रसायन) को दबाती है, जिससे रात में सोना मुश्किल हो जाता है। साथ ही, लगातार स्क्रॉलिंग से डोपामाइन लेवल असंतुलित होता है, जो एकाग्रता चुरा लेता है। न्यूरोसाइंटिस्ट कहते हैं “रोज 8 घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम दिमाग की ग्रे मैटर को 15% कम कर देता है, जो सीखने की क्षमता पर असर डालता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 60% किशोर रात में फोन से चिपके रहते हैं।
बचाव के सरल उपाय: आज से अपनाएं
इन आदतों से बचना आसान है। रोज रात 10 बजे तक सोने की कोशिश करें, सुबह व्यायाम करें। तनाव कम करने के लिए ध्यान या योग अपनाएं, और दोस्तों से बातचीत बढ़ाएं। स्क्रीन टाइम सीमित रखें – दिन में 2 घंटे से ज्यादा न करें, और रात 8 बजे के बाद फोन बंद। डॉक्टर सलाह देते हैं कि हरी सब्जियां, फल और ओमेगा-3 युक्त भोजन दिमाग को मजबूत बनाते हैं। ये छोटे बदलाव आपके दिमाग को जवान और तेज रखेंगे।