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छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक मोड़: 210 नक्सलियों का एक साथ आत्मसमर्पण

डेस्क: छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में शुक्रवार को एक अभूतपूर्व घटना घटी, जब 210 नक्सली लड़ाकों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। इनके पास से 153 हथियार, जिनमें एके-47, इंसास राइफल, एलएमजी और एसएलआर जैसे घातक असलहे शामिल हैं, बरामद हुए। यह अब तक की सबसे बड़ी सामूहिक आत्मसमर्पण कार्रवाई मानी जा रही है, जिसने उत्तर बस्तर को लाल आतंक से मुक्त करने की दिशा में बड़ा कदम साबित किया। अब केवल दक्षिण बस्तर का इलाका बाकी है, जहां सुरक्षाबल और राज्य प्रशासन मिलकर अंतिम सफाई अभियान की योजना बना रहे हैं। यह कदम न केवल शांति स्थापना का प्रतीक है, बल्कि विकास कार्यों को गति देने का भी मार्ग प्रशस्त करेगा, जैसे सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्रों का विस्तार।

बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सुंदरराज पट्टिलिंगम ने इस घटना को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि माओवादी कैडरों ने अपनी हिंसक विचारधारा त्यागकर समाज की गोद में लौटने का संकल्प लिया है। उन्होंने बताया, “ये नक्सली मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आगे आए, और हमने उन्हें खुला दिल से स्वीकार किया। सरकार उन्हें रोजगार, शिक्षा और आवास जैसी हर सुविधा उपलब्ध कराएगी। इतनी बड़ी संख्या में एक साथ सरेंडर पहले कभी नहीं हुआ। हमें भरोसा है कि जंगलों में बचे अन्य नक्सली भी जल्द ही इसी राह पर चलेंगे।” यह आत्मसमर्पण “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” योजना के तहत हुआ, जो नक्सलियों को पुनर्वासित करने पर केंद्रित है।

इससे पहले 2 अक्टूबर को बीजापुर जिले में 103 नक्सलियों ने सरेंडर किया था, जिनमें से 49 पर 1.06 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल उन्मूलन को राष्ट्रीय प्राथमिकता बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सल-मुक्त बनाने का लक्ष्य हासिल कर लेगी।

बंदूक से संविधान की ओर

इस सामूहिक आत्मसमर्पण पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे राज्य और देश के लिए मील का पत्थर करार दिया। जगदलपुर में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “यह दिन बस्तर के लिए नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और भारत के लिए यादगार है। ये युवा, जो माओवाद के भ्रम में वर्षों जंगलों में भटकते रहे, आज संविधान और हमारी विकास-केंद्रित नीतियों पर भरोसा जता रहे हैं। उन्होंने कंधों से बंदूकें उतारकर हाथों में संविधान थामा है। इनसे मुलाकात मेरे जीवन के सबसे सुखद और भावुक क्षणों में से एक रही।”

मुख्यमंत्री ने आगे जोर देकर कहा, “हमारी ‘नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025’ और ‘नियद नेल्ला नार योजना’ जैसी पहलें विश्वास निर्माण का माध्यम बनी हैं। इनके बलबूते नक्सली हिंसा त्यागकर सरेंडर कर रहे हैं। यह बदलाव नीतियों की ताकत और जनता के समर्थन से संभव हुआ। हम सरेंडर करने वालों के पुनर्वास के लिए कटिबद्ध हैं। डबल इंजन सरकार के संकल्प से छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से मुक्त होगा, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में यह सपना साकार हो रहा है। जय हिंद! जय छत्तीसगढ़!” पिछले 22 महीनों में राज्य में 477 नक्सली न्यूट्रलाइज, 2110 ने सरेंडर और 1785 गिरफ्तारियां हुई हैं, जो उन्मूलन अभियान की सफलता का प्रमाण हैं।

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