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हुमायूं कबीर ने नई पार्टी बनाने का ऐलान, ओवैसी के साथ गठबंधन कर लड़ेंगे बंगाल चुनाव,

Bengal Politics: पश्चिम बंगाल की राजनीति में नया उलटफेर होने वाला है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर ने नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी है। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में वे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के साथ गठबंधन करेंगे। यह गठबंधन सीधे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती देगा। कबीर का यह फैसला मुर्शिदाबाद जिले के रेजीनगर में बाबरी मस्जिद की शैली वाली नई मस्जिद की नींव रखने के बाद आया है। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के लोग जो सांप्रदायिक सद्भाव चाहते हैं, वे इस राजनीतिक हलचल से चिंतित हैं। कबीर का दावा है कि यह कदम संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए है।

बाबरी मस्जिद मॉडल पर नींव रखी

हुमायूं कबीर ने 6 दिसंबर 2025 को मुर्शिदाबाद के रेजीनगर में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया। यह तारीख 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की बरसी पर चुनी गई, जिससे राजनीतिक विवाद भड़क गया। बंगाल पुलिस, रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) और केंद्रीय बलों की भारी तैनाती के बीच कबीर ने मौलवियों के साथ मंच पर फीता काटा। वास्तविक निर्माण स्थल कार्यक्रम स्थल से करीब एक किलोमीटर दूर था। हजारों लोग सुबह से जमा हो गए, जिनमें से कई सिर पर ईंटें लिए हुए थे। नारे लगे, “नारा-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर”। कबीर ने कहा कि यह उपासना स्थल बनाने का संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने दावा किया कि चार लाख से ज्यादा लोग इसमें शामिल हुए।

Bengal Politics: टीएमसी से निष्कासन

टीएमसी ने कबीर को इस हफ्ते की शुरुआत में सांप्रदायिक राजनीति फैलाने के आरोप में निष्कासित कर दिया। कबीर भरतपुर से विधायक हैं और अल्पसंख्यक वोट बैंक में प्रभावशाली माने जाते हैं। निष्कासन के बाद उन्होंने नई पार्टी बनाने का फैसला लिया। कबीर ने कहा,”मैं असंवैधानिक कुछ नहीं कर रहा। बाबरी मस्जिद जैसी मस्जिद बनेगी।” यह गठबंधन एआईएमआईएम के साथ होगा, जो मुस्लिम वोटों को एकजुट करने का प्रयास लगता है। कबीर का कहना है कि ममता बनर्जी की सरकार अल्पसंख्यकों की अनदेखी कर रही है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

भाजपा ने कबीर के कार्यक्रम को सांप्रदायिक उन्माद फैलाने वाला बताया। राज्य भाजपा अध्यक्ष सुकांता मजुमदार ने कहा कि यह टीएमसी की नाकामी का नतीजा है। दूसरी ओर, टीएमसी ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन पार्टी के एक नेता ने नाम न छापकर कहा कि कबीर का कदम वोट बैंक की राजनीति है। ओवैसी ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन गठबंधन की खबर से बंगाल की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। यह गठबंधन 2026 के विधानसभा चुनावों को प्रभावित कर सकता है, जहां मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कबीर का यह कदम टीएमसी के लिए चुनौती बनेगा।

Sanjna Gupta
Author: Sanjna Gupta

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