https://whatsapp.com/channel/0029VajZKpiKWEKiaaMk4U3l
AccidentTrending
Trending

गुरुग्राम सिलेंडर ब्लास्ट ने यह साफ कर दिया है कि सुरक्षा से बड़ी कोई प्राथमिकता नहीं!

गुरुग्राम के व्यस्त इलाके में रविवार की सुबह अचानक सिलेंडर ब्लास्ट की आवाज़ों ने सबको दहला दिया। एक, दो नहीं — बल्कि लगातार कई गैस सिलेंडरों में विस्फोट हुए, जिनसे पूरा क्षेत्र आग की लपटों से घिर गया। आग इतनी भयंकर थी कि लपटें आसमान तक उठती दिखीं, और चारों तरफ धुआं छा गया।

गुरुग्राम: स्थानीय लोगों ने पहले तो सोचा कि कोई छोटी आग लगी है, लेकिन कुछ ही मिनटों में पूरा इलाका धमाकों की आवाजों से गूंज उठा। आग की तपिश इतनी तेज थी कि आसपास खड़े वाहन, दुकानें और घरों के शीशे तक चटक गए। दमकल विभाग की कई गाड़ियाँ मौके पर पहुँचीं, लेकिन आग इतनी तेजी से फैल रही थी कि काबू पाने में कई घंटे लग गए।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि यह हादसा किसी साधारण रसोई गैस सिलेंडर से नहीं, बल्कि अवैध गैस रिफिलिंग की दुकान में हुआ, जहां बिना अनुमति घरेलू और व्यावसायिक सिलेंडरों में गैस भरी जाती थी।

कैसे हुआ यह हादसा? — एक लापरवाही, भारी तबाही

प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह दुर्घटना अवैध गैस रिफिलिंग के दौरान हुई। इस दुकान में घरेलू गैस सिलेंडर से छोटे सिलेंडर में गैस ट्रांसफर की जा रही थी। यह प्रक्रिया अत्यंत खतरनाक होती है क्योंकि सिलेंडर की क्षमता और प्रेशर में मामूली गलती भी विस्फोट का कारण बन सकती है।

कहा जा रहा है कि एक सिलेंडर में लीक शुरू हुआ और चिंगारी लगने से आग भड़क गई। उसके बाद एक के बाद एक सिलेंडर श्रृंखलाबद्ध तरीके से फटते चले गए। जिस दुकान में यह हादसा हुआ, वह घनी आबादी वाले इलाके में थी — चारों तरफ मकान, गाड़ियाँ और बाजार थे। फायर ब्रिगेड ने मौके से दर्जनों सिलेंडर बरामद किए, जिनमें से कई बिना सील और सुरक्षा वाल्व के थे।
यानी यह हादसा मानवीय लापरवाही और गैरकानूनी गतिविधियों का नतीजा था।

प्रशासन की लापरवाही — नियम कागज़ों में, सुरक्षा हवा में

गुरुग्राम जैसे आधुनिक शहर में इस तरह की घटनाएं सवाल उठाती हैं — क्या प्रशासन को अवैध गैस रिफिलिंग का पता नहीं था?स्थानीय लोगों का कहना है कि इस दुकान में कई महीनों से रिफिलिंग का काम चल रहा था। लोगों ने शिकायतें भी की थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

भारत में गैस रिफिलिंग के नियम बेहद सख्त हैं। पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (PESO) की अनुमति के बिना गैस ट्रांसफर करना पूरी तरह अवैध है। फिर भी, कई जगहों पर लाइसेंसधारी एजेंसियों से गैस चोरी कर ब्लैक मार्केट में बेची जाती है। ऐसे अवैध ठिकानों पर न तो सुरक्षा उपकरण होते हैं, न प्रशिक्षित कर्मचारी, और न ही कोई आपातकालीन व्यवस्था। यह सब मिलकर हर समय एक “टिक-टिक करता बम” बनाते हैं।

स्थानीय लोगों का दर्द — “हर बार चेताया, पर किसी ने सुना नहीं”

आसपास के निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार अधिकारियों को सूचना दी थी कि उस दुकान में गैस ट्रांसफर का काम होता है। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब जब धमाके हुए, तो लोगों की ज़िंदगी पर आग बनकर टूट पड़े।

एक चश्मदीद ने बताया —

“पहले हल्की सी गंध आई, फिर अचानक धमाका हुआ। जब तक हम बाहर भागे, आग चारों तरफ फैल चुकी थी।”

कई परिवारों को रातों-रात अपना घर छोड़ना पड़ा। कई गाड़ियाँ जलकर खाक हो गईं। फिलहाल, दमकल विभाग ने आग पर काबू पा लिया है, लेकिन नुकसान करोड़ों में बताया जा रहा है।

सुरक्षा नियम और असलियत — कहां चूक रहे हम?

भारत में हर रसोई गैस सिलेंडर के साथ एक सुरक्षा मापदंड (safety protocol) होता है। लेकिन आम तौर पर रिफिलिंग करने वाली गैर-अधिकृत दुकानों में इन नियमों का पालन नहीं होता। गैस रिसाव, गलत पाइप का इस्तेमाल, और बिना वाल्व के कनेक्शन —
ये सब विस्फोट की मुख्य वजहें हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर गैस सिलेंडर 80% से ज्यादा भरा जाए, तो तापमान बढ़ने पर उसका प्रेशर इतना बढ़ सकता है कि वो फट जाए। रिफिलिंग के दौरान अक्सर इसी नियम की अनदेखी की जाती है।

इसलिए जरूरी है कि प्रशासन समय-समय पर जांच करे, आम जनता ऐसे दुकानों की शिकायत करे, और अधिकृत एजेंसियां ही रिफिलिंग करें।

इस घटना से मिली चेतावनी — अब भी वक्त है

गुरुग्राम की यह घटना केवल एक शहर की नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी की घंटी है। हर बड़े या छोटे बाजार में ऐसे दर्जनों अवैध रिफिलिंग पॉइंट हैं, जहां रोज़ जान जोखिम में डालकर गैस भरी जाती है। यह घटना बताती है कि एक छोटी सी लापरवाही भी
सैकड़ों ज़िंदगियाँ तबाह कर सकती है। जरूरत है कि प्रशासन न केवल कार्रवाई करे, बल्कि आम जनता को भी जागरूक बनाए —
कि कुछ रुपये बचाने के चक्कर में अपनी और दूसरों की जान न खतरे में डालें।

✅ निष्कर्ष (Conclusion):

गुरुग्राम सिलेंडर ब्लास्ट ने यह साफ कर दिया है कि सुरक्षा से बड़ी कोई प्राथमिकता नहीं हो सकती। एक गलती, एक चिंगारी, और पूरी बस्ती जल सकती है। अवैध गैस रिफिलिंग का नेटवर्क न केवल कानून तोड़ता है, बल्कि हर नागरिक की जान से खिलवाड़ करता है।

सरकार, प्रशासन और नागरिक —
तीनों को मिलकर इस खतरे के खिलाफ जिम्मेदारी से कदम उठाने होंगे। वरना अगली बार यह आग किसी और मोहल्ले में, किसी और परिवार की ज़िंदगी में तबाही बनकर लौट सकती है।

 “सावधानी ही सुरक्षा है — क्योंकि गैस का एक रिसाव, मौत का सैलाब बन सकता है।”

PRAGATI DIXIT
Author: PRAGATI DIXIT

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!